एक व्यक्ति था जो हमेशा खुश रहता था। जब किसी ने उनसे उनकी खुशी का राज पूछा तो उन्होंने जवाब दिया, “भगवान की कृपा से, जब मैं सुबह उठता हूँ, तो मेरे सामने दो विकल्प होते हैं, या तो मैं पूरे दिन खुश रह सकता हूँ यादुःखी रह सकता हूँ। मैं हमेशा पहला विकल्प चुनता हूँ।”
अब जो लेख आप पढ़ने जा रहे हैं, उसमें हम सीखेंगे कि हम अपने आप को, दूसरों को और जीवन की परिस्तिथियों को बिना शर्तों के कैसे स्वीकार करें।
विचार करने के लिए यहाँ कुछ निम्न प्रश्न दिए गए हैं-
- हमारे मन में दुःखद घटनाएँ ही क्यों रहती हैं?
- हम अपने जीवन में उन्हीं घटनाओं का शिकार क्यों रहते हैं, जो हमें दुःखी, निराश, क्रोधित, आहत, दोषी या परेशान करती हैं, उन घटनाओं का क्यों नहीं जो हमें खुश और संतुष्ट रखती हैं?
- हमारे मन में सुखद और सुहानी यादों से ज्यादा अतीत कि अप्रिय औरदुःखभरी यादें ही क्यों आती हैं ?
इसका अर्थ यह हुआ कि हमारे मन में सुखद यादें बार-बार इसीलिए नहीं आती क्योंकि वह पूर्ण हो चुकी हैं। भगवान ने हम सबको बहुत ही अमूल्य मस्तिष्क दिया है जो कि एक सुपर कंप्यूटर की तरह काम करता है। जैसे- कंप्यूटर में जिस भी फाइल को हम खोलना चाहते हैं, उसे उस विशेष फाइल पर जाकर हम क्लीक करके खोल सकते हैं बाकि फाइल्स कंप्यूटर फोल्डर में ऐसे ही कहीं न कहीं पड़ी रहती हैं। इसी तरह हमारे मस्तिष्क में भी बहुत तरह की ऐसी फाइल्स खुली रहती हैं, जो कि पूर्ण नहीं हुई हैं इसीलिए हमारे मस्तिष्क में बार-बार आती ही रहती हैं।
आईये अब हम यह समझने का प्रयास करते हैं कि कैसे ये फाइलें पूर्ण न होने कि वजह से खुली रह जाती हैं-
- कुछ क्षमा माँगना अभी शेष है।
- कोई भी हानि हो जाने पर उसे स्वीकार न करना।
- स्वयं को और दूसरों को माफ़ न करना।
- किसी विशेष घटना कि सत्यता को स्वीकार न करना।
- पुरानी यादों को न छोड़ना।
- हमारे पुराने विचार, सोच और दृष्टिकोण को न बदलना।
जब हम अपनी पुरानी विचारधारा और आदतों की वजह से परेशान होते हैं और उन्हें बदलने के लिए तैयार नहीं होते, तो हम दुखी रहते हैं और इस दुःख का कारण हमें स्वयं को भी पता नहीं होता। जब हमें गुरु मिलते हैं तो वे हमारा सही मार्गदर्शन करते हैं, तब हम उन दुःखों से आसानी से ऊपर उठ जाते हैं। हमें अतीत में की गयी गल्तियों का पश्चाताप अक्सर याद आता रहता है।
हमारे मस्तिष्क में बेकार की फाइलें खुली रहती हैं, हम कोशिश करके उन्हें थोड़ी देर के लिए कम तो कर सकते हैं लेकिन जरा सा कारण परिस्थिति आने पर यह फाइलें फिर खुल जाती हैं और हमारे मन की शान्ति को भंग कर देती हैं।
हम ही अपने मन के मालिक हैं इसीलिए हम ही इन अधूरी फाइलों को पूरी करके बंद कर सकते हैं।
हमें अतीत में हुए किसी भी प्रकार के नुकसान को स्वीकार करना पड़ेगा, चाहे वह किसी व्यक्ति, वस्तु या फिर अपनी ही छवि का क्यों न हो।
स्वयं में और भगवान में दृढ़ विश्वास होने से हमें अधूरी फाइलों को पूरा करने की शक्ति मिलती है और तब हम उन फाइलों को बंद कर पाते हैं।
इस तरह फाइल पूरी करने का हम सबका तरीका अलग हो सकता है। यहाँ फाइल पूरी करने के बहुत ही सुन्दर तरीके बताए गए हैं-
- भगवान के साथ संबंध – हमारे गुरु भगवान की कृपा से ही हमें भगवान से सच्चा और शाश्वत/अनादि संबंध का पता चलता है। भगवान से हमारा संबंध हमें पुरानी अतीत की यादों से ऊपर उठने में मदद करता है।
भगवान से पवित्र संबंध को दृढ़ करने के लिए हमें निम्नलिखित बातों को प्रतिदिन दोहराना चाहिए- - हे नाथ मैं आप का हूँ और आप मेरे हो।
- हे नाथ मैं आप को कभी भूलूँ नहीं।
- हे नाथ मैं आप के प्रेम को महसूस करूँ और आपका शुक्राना करता रहूँ।
इस तरह की सकारात्मक बातें प्रतिदिन कहने से हमारे जीवन में ये जादू की तरह काम करते हैं। प्रेम और लगन से भगवान का नाम लेने से हमारा भगवान से अपनापन और दृढ़ होता है।
- दृढ़विश्वास – भगवान में और स्वयं में दृढ़ विश्वास हमें अतीत की फाइलों को पूर्ण करके बंद करने में और वर्तमान में रहने के लिए साहस देता है।
- सही समझ – परिवर्तन जीवन का अभिन्न अंग है। ये जीवन हमें वापिस भगवान के पास जाने के लिए मिला है। हमारे गुरु द्वारा मिली यह सही समझ ही हमें ऊपर उठने, भगवान की तरफ आगे बढ़ने और हमारे परम उद्देश्य- भगवत प्राप्ति कराती है।
- बिनाशर्त प्रेम – शर्तों पर प्यार हमें चिड़चिड़ा और दयनीय बना देता है। बिना शर्तों का प्रेम हमें स्वतंत्र करता है।
- अपने अपराध को स्वीकार करना– जब हम अपने अतीत की भावनाएँ या बातें अपने गुरु, भगवान या संबंधित व्यक्ति से कर लेते हैं तो हमारे मस्तिष्क से पुरानी अधूरी फाइलें पूर्ण होकर बंद हो जाती हैं।
- क्षमा करना – व्यक्तियों को और स्वयं को क्षमा करके पुरानी बातें निकल जाती हैं और हम जीवन में आगे बढ़ते जाते हैं।
- सतर्क होकर रहना – हमारे मस्तिष्क में बहुत सारे विचार चल रहे होते हैं। जब हम यह कला सीख जाते हैं कि हमें कौन से विचारों से नहीं मिलना और कौन से विचार काम के हैं तो हमारा जीवन आसान बन जाता है।
- जागकर स्वीकार करना – जब हम उन पुरानी परिस्थितियों, घटनाओं और व्यक्तियों को स्वीकार कर लेते हैं जिनसे हमें चोट पहुँची है, तो हमारे दिमाग से फाइलें पूरी हो कर समाप्त हो जाती हैं।
- जीवन में बड़ा उद्देश्य रखें – जब हम अपना परम लक्ष्य परमात्मा प्राप्ति और निष्काम सेवा रखते हैं तो हमारा ध्यान स्वयं ही पुरानी बातों से हटकर बड़े लक्ष्य को प्राप्त करने में लग जाता है।
- निष्काम सेवा – जो व्यक्ति रचनात्मक तरीके से भगवान की, देश की और मानवता की सेवा में व्यस्त रहता है तो उसके पास अतीत में रहने का समय ही नहीं रहता।
- वर्तमान में रहने का अभ्यास – जब हम स्वयं में या इस पल में रहने का अभ्यास करना सीख जाते हैं तो हम दिमाग में आने वाले हर विचार को देख पाते हैं। इस पल में रहने के अभ्यास से हम मन से अलगाव कर पाते हैं।
ऊपर लिखे तरीकों से हम अपनी अधूरी फाइलों को पूर्ण करके बंद कर सकते हैं। हमारा मस्तिष्क एक ऐसा कंप्यूटर है जो कभी बंद नहीं होता। जब हम सो रहे होते हैं तब भी यह कार्य कर रहा होता है। हमारे सपने इस बात का सबूत हैं।
निष्कर्ष
जब भी आप दुःख भरी पुरानी यादों का शिकार हों तो आप तुरंत पहचान जाइए कि ये तो आप की पुरानी फाइलें हैं जो अभी तक अधूरी पड़ी हैं और इन्हें आप को पूरा करना अभी बाकी है।
यह आपके ऊपर है कि आप अपने वर्तमान को पुरानी अतीत की फाइलों को बंद करने में प्रयोग करना चाहते हैं या नहीं।
गुरु भगवान जी आपके अनंत अनंत शुक्राने है, आपको कोटि कोटि नमन है।
भगवान जी बहुत ही सुन्दर लेख है जो हमे शिखाते है की कैसे हम वर्तमान मैं रह सकते है।
कैसे हम past ki thoughts se jo hame paresan karti hai, hamari energy ko suck karte hai unse kaise Bach sakte hai।
आपकी अथाह मेहनत एवम दिव्य प्रेम को बारंबार नमन है।
अनंत अनंत शुक्राने है।
भगवान जी इस लेख में आप ने बहुत ही सुन्दर तरीके से समझाया है कि किस तरह पुरानी दुखद घटनाएं जो हमें दुखी करती रहती हैं, उनकी फाइल कैसे बंद करें। भगवान जी आपकी बहुत ज्यादा मेहनत होती है हरेक लेख को बहुत ही अच्छे से हमें समझाने में। अगर ये फाइल बंद ना होती तो यही शिकवे शिकायतें, नाराजगी, द्वेष आदि अगले जन्म में भी पीछा ना छोड़ते। कोई कर सके ना ऐसा गुरु ने काम किया है। अनंत अनंत शुक्राने भगवान जी
गुरु भगवान जी को नमन है।
बहुत अच्छे से समझाया है कि सुख मिलकर पूरा हो जाता है इसलिए सुख की घड़ियां मुश्किल से याद आती हैं।
दुख मिलने के कई कारण हैं जहां अधूरापन है, इसलिए वो याद रहता है।
Past को भुलाने के बहुत अच्छे उपाय बताए हैं,जिससे हम present में रह सकते हैं।
बहुत मेहनत है बहुत प्रेम है।
कोटि कोटि प्रणाम🙏🙏🙏
गुरु भगवान जी के अनंत शुक्राने है।👏गुरु भगवान जी बहुत ही सुंदर लेख है ये समझ आया कि हम सुख के moment को याद नहीं करते क्योंकि वो पूर्ण हो चुके होते है। हम दुख के moment को याद करके दुखी होते है मतलब हमने वह accept नहीं करा होता है।
गुरु भगवान जी बहुत अच्छे tips बताये कि भगवान पर दृढ़ विश्वास करना है।परिवर्तन को स्वीकार करना है।प्रेम को बिना चाहना के करना है, हमसे कोई अपराध हुआ है तो भगवान जी, गुरु जी से, संबंधित व्यक्ति से share कर लेना है। क्षमा करना है और सतर्क रहना है कि किस विचार से मिलना एवं नहीं मिलना है। अपने उद्देश्य पर ध्यान देना है।निष्काम सेवा एवं नाम जप करने से हम वर्तमान में रहते है।इस पल में रहने से हम अपने मन में उठने वाले विचार को देख सकते है और मन से अलगाव कर सकते है। गुरु भगवान जी आपकी कृपा से हम पुरानी फाईल को बंद कर सकते है हमें पूरा विश्वास है गुरु भगवान जी बहुत बहुत शुक्राने है।
अति सुंदर लेख है भगवान जी
अतीत की फ़ाइल बंद करने के तरीके भी बहुत सुंदर लगे।
Guru bhagwan ji ko hirdey se naman hai aap ji k prem k anant shukrane hain 🙏
Bahut hi sunder laikh hai aapki kripa se hi live in the moment mai reh pate hain aapne naamjap diya to free hote hi hi jholi mala yaad aa jati hai to past ka sochne ka time nhi milta varna bahut aadat thi past ki sochne ki saare shukrane aap ji k hain bhagwan ji har pal jagane k liye.🙇
Kya kahu kon si daulat hain guru
Mera jeewan ,meri duniya, meri jannat hain guru🙇💐
गुरु भगवान जी एवं गुरु मां को कोटि कोटि प्रणाम 🙏 गुरु भगवान जी ऐसा ही सच में होता है हम पुरानी बातों को भूल नहीं पाते और वर्तमान में जीवन अच्छा जी नहीं पाते आपको पाया तो हमें आपकी कृपा से अपनी कमियां पता चली गुरु भगवान सच में अन्तर्यामी हैं अपने बच्चों के मन को जान कर वैसा ही हर करके देते हैं कितने शुक्राने करूं भगवान जी आपके सब कम ही है आपकी कृपा और मेहनत को दिल से शुक्राने है भगवान जी 🙏🙏🙏 🙏🙏 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏 🙏🙏🙏🙏
Guru Bhagwan ji k anant shukrane hain.A well explained blog on how to forget the negative storehouse of the past in order to stay happy and live in present moment ..Your valuable guidance is making us to improve steadily.
Anant shukrane Bhagwan ji.