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How to teach Discipline to your child?

अनुशासन का मतलब है नियम में चलना, वह नियम जो बच्चे के जीवन को सरल और सार्थक बनाए।

पहले समय में हम देखते थे बच्चे माता-पिता की हर बात मानते थे। माता पिता जो कह देते थे बच्चे उसे मान लेते थे। बड़े होने पर वह बच्चे जीवन में अधिक खुश, स्वस्थ, मेहनती होते थे और उनके रिश्ते अधिक सफल होते थे। क्योंकि बड़ों की बात मानने से बच्चे अनुशासन सीखते थे, जिससे वह अपने मन को नियंत्रित कर पाते थे।

इसलिए बच्चों के जीवन को सफल बनाने के लिए बच्चों को अनुशासन सिखाना बहुत आवश्यक है।

बच्चों को अनुशासन कैसे सिखाएं –

1.  बड़ों का सम्मान करना सिखाएँ –

यदि माँ बच्चे से किसी बात को मना कर दे तो घर के सभी सदस्यों को चाहिए की वो बच्चे के सामने माँ की बात को काटें नहीं। जैसे बच्चा कोई खिलौना माँग रहा है माँ ने मना कर दिया तो बच्चा पिता के पास जाता है पिता उसे वह खिलौना दिला देते हैं, तो बच्चे को समझ आ जायेगा की जरुरी नहीं बड़ों की बात मानें या कैसे अपना काम करवाना है और वह न माता की बात मानेगा न पिता की और अगर पिता बच्चे को डांटें तो माँ तुरंत उसे प्यार नहीं करें जिससे बच्चे को समझ आये की उसे बड़ों की बात माननी है। इसलिए यह बहुत जरुरी है की बच्चों के सामने माता-पिता एक दूसरे की बात काटें नहीं। एक दूसरे के प्रति और घर के बड़ों के प्रति सम्मान प्रदर्शित करें जिससे बच्चा भी बड़ों का सम्मान करना सीखे क्योंकि जब बच्चा बड़ों का सम्मान करेगा तभी वह बड़ों की बात भी सुनेगा।

2. सकारात्मक शब्दों का प्रयोग करें –

0-7 साल तक बच्चों का logical Mind बन रहा होता है बच्चों से जो कुछ भी कहा जाता है बच्चे उसे सच मान लेते हैं। जैसे बच्चों को परियों की कहानी सुनाते हैं तो वह उन्हें सच मान लेते हैं। इसी तरह जब हम बच्चों को डराकर कोई काम करवाते हैं तो इससे बच्चों के दिमाग पर नकारात्मक असर पड़ता है। जैसे यदि तुम ऐसा करोगे तो पुलिस तुम्हें पकड़ कर ले जाएगी यदि तुम खाना नहीं खाओगे तो तुम बीमार हो जाओगे आदि इसलिए जब भी बच्चे से अपनी बात कहें सकारात्मक शब्दों का प्रयोग करें जैसे यदि तुम खाना खाओगे तो बहुत ताकतवर हो जाओगे। तुम्हें यह काम करना चाहिए इससे तुम होशियार होंगे।

3. सत्संग का नियम –

सत्संग में गुरु के सान्निध्य से ही बच्चों का All Round Development होता है जीवन जीने की कला आती है, भगवान से प्रेम होता है और उनकी आध्यात्मिक उन्नति होती है और बच्चा अनुशासन सीखता है। इसलिए बचपन से ही बच्चों को सत्संग का महत्व बताएं उन्हे सत्संग लेकर आएं।

4. प्रेरणादायक कहानी सुनाएं –

बच्चे को कुछ भी यदि कहानी के रूप में सुनाया जाये तो वो उसे बहुत ध्यान से सुनते हैं और अपने जीवन में लाने का प्रयास करते हैं इसलिए ऐसी कहानियां बच्चों को सुनाएं जिसमें अनुशासन के महत्त्व को बताया जाये।

5. सही विकल्प दें –

एक बार एक गुरु जी ने शिष्य से कहा तुम 1 हफ्ते बन्दर का ध्यान मत करना। 1 हफ्ते बाद शिष्य जब गुरु जी से मिलने गया तो बहुत परेशान था।

गुरु जी ने पूछा क्या हुआ इतने परेशान क्यों हो?

शिष्य ने कहा गुरु जी आपने तो बन्दर का ध्यान करने को मना किया था पर मुझे तो तब से बन्दर ही सब जगह नजर आ रहा है। गुरु भगवान जी ने इसका सिद्धांत बताया की हमसे जिस चीज के लिए मना किया जाता है, ये मन उस चीज की तरफ और आकर्षित होता है। इसी तरह जब हम बच्चे को किसी चीज के लिए मना करते है तो वह भी उस चीज की तरफ अधिक आकर्षित होता है इसलिए यदि हमें बच्चे को किसी काम के लिए मना करना है तो दूसरा विकल्प बच्चे को दें जिससे बच्चे का ध्यान उस काम से हट कर दूसरे काम में लग जाये।

6. संघर्ष करना सिखाएँ –

अधिकतर माता-पिता को लगता है जो हमें बचपन में नहीं मिला वो सब हम अपने बच्चे को दें इसलिए माता-पिता बच्चों की हर बात को ” हाँ ” कर देते हैं जिससे बच्चों को नहीं सुनने की आदत ही नहीं रहती और struggle के बिना हम बच्चों को जब हर चीज़ दे देते हैं तो बच्चे भी उसकी अहमियत नहीं समझते इसलिए हमेशा बच्चों को हर चीज न दें।

7. STRICTNESS भी जरूरी है –

कभी-कभी बच्चे हमारी बात प्रेम से नहीं सुनते इसलिए माता-पिता को चाहिए उस समय बच्चों के साथ थोड़ा strict हो क्योंकि हमारा उद्देश्य बच्चों का जीवन निर्माण करना है बच्चों को खुश करना नहीं।

8. संगत का ध्यान रखें –

बच्चे किसका संग करते हैं इस बात का विशेष ध्यान रखें – जैसा हम संग करते हैं वैसा ही हमारा जीवन हो जाता है। संग का मतलब है बच्चे क्या देखते हैं (TV, मोबाइल पर ) क्या सुनते हैं व उनके दोस्त कौन हैं, इस बात का विशेष ध्यान रखें।

9. अपनी बात कहने दें –

सभी माता-पिता बच्चों को perfect बनाना चाहते हैं जिसके लिए वह बच्चों को कई बातें समय-समय पर समझाते रहते हैं। लेकिन बहुत आवश्यक है उन्हें उनके हिस्से का बोलने भी दें और उनकी बात को ध्यान से सुनें जिससे बच्चे भी सुनना सीखें।

10. मात-पिता अनुशासन में रहें –

गुरु भगवान बताते हैं बच्चे माता-पिता की कही बात से उतना नहीं सीखते जितना वो माता-पिता को देखकर सीखते हैं इसलिए बच्चों को अनुशासन सिखाने के लिए जरुरी है हमारे जीवन में अनुशासन हो।

This Post Has 3 Comments

  1. Madhu gaur

    Being a parent is a huge responsibility as we are building not only a personality but a nation , a civilization , the world as a whole .
    इस विषय पर इतना गहन लेख हर उम्र के माता पिता के लिए उपयोगी सिद्ध होगा ।
    आपके अनंत शुक्राने हैं जो हर बिंदु को बहुत ही सरल एवं ग्रहणीय शब्दों में समझाया है 🙏🙏

  2. Anju+Rana

    गुरु भगवान जी अनंत शुक्राने हैं कि इतनी अच्छी तरह आपने उदहारण देकर बच्चों की परवरिश सही दिशा में हो ,यह समझाया।

    बच्चों को सत्संग का महत्व और गुरू जी का सानिध्य ,जरूरी है।

    यह बहुत अच्छा लगा कि बच्चों को संघर्ष करना भी आना चाहिए।और इसमें माता पिता का रोल काफी होता है।
    शुक्राने भगवान जी

  3. Geeta

    अनंत अनंत शुक्राने शुक्राने शुक्राने शुक्राने शुक्राने शुक्राने शुक्राने शुक्राने शुक्राने शुक्राने शुक्राने शुक्राने शुक्राने शुक्राने मेरे परम पूज्य सत गुरु भगवान जी आप जी ने कितने example देकर समझाया कि अनुशासन क्या है, किस तरह से हम स्वयं पर दृष्टि डाले, बच्चों से कैसे Deal करे,।
    राधे राधे मेरे परम पूज्य परम श्रद्धेय परम प्रिय परम आराध्य मेरे नाथ जी
    🙏🌹🙇‍♂️🙇🌹🙏

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