सफलता के निम्न सिद्धान्त हैं –
- काम (Work)- दीपक की प्रभा और उज्ज्वलता का रहस्य है कि वह अपनी बत्ती और तेल को बचाता नहीं है वरन निरंतर खर्च करता है।
इसका परिणाम प्रकाश होता है। यदि वह अपनी तेल बाती को बचाना चाहेगा तो वह बुझ जायेगा।
इसी प्रकार हम सुख, आराम और विलासता में अपना समय नष्ट करेंगे तो हम भी बुझ जायेंगे। अर्थात कोई उन्नति नहीं कर पायेंगे। कर्मण्यता ही जीवन है। नदी का पानी स्वच्छ व पीने योग्य होता है। गतिहीन सरोवर का पानी गन्दा बदबूदार होता है व पीने योग्य नहीं होता।From good to better,
Daily self-surpassed.
- आत्म त्याग (Self Sacrifice)- हर एक व्यक्ति सफेद वस्तु को प्यार करता है। काली चीज़ कम पसन्द की जाती है।
पदार्थ विज्ञान बताता है, लाल वस्तु लाल नहीं है। हरी वस्तु हरी नहीं है। काली वस्तु काली नहीं है। लाल गुलाब प्रकाश पड़ने पर लाल रंग को लौटाने या प्रतिक्षेप (reflect) करने से अपना सुहावना लाल रंग पाता है। सूर्य की किरणों में सभी रंग हैं। जो रंग, पदार्थ लौटाता है, वह उसी रंग का दिखता है। जो पदार्थ सारे रंग लौटा देता है, वह सफेद दिखता है और जो सारे रंग सोख कर कुछ नहीं लौटाता वह काला दिखता है। इसी प्रकार जो मनुष्य केवल अपने लिए ही कमाते और खाते हैं, वे पापी हैं और जो सर्वस्व त्याग करते हैं, वे उज्ज्वल हो जाते हैं।
बीज को वृक्ष बनने के लिए अपने को मिटाना पड़ता है। इस प्रकार पूर्ण आत्म त्याग का अन्तिम परिणाम “सफलता” है। - आत्म विस्मृति (Self Forgetfulness)- सभाओं में व्याख्यान देते समय यदि यह भाव आ जाये कि ‘मैं‘ अच्छा व्याख्यान दे रहा हूँ तो कार्य बिगड़ जाता है अर्थात् कार्य करते समय अपने तुच्छ अहम् भाव को भूलकर पूर्ण मनोयोग से कार्य में लग जाओ तो सफलता अवश्य मिलेगी। यदि तुम विचार कर रहे हो तो विचार ही बन जाओ, कार्य कर रहे हो तो कार्य का रूप ही बन जाओ।
“When shall I be free?
when I shall cease to be.”
“मैं कब मुक्त होऊँगा ?
जब ‘मैं‘ ना रहेगी।” - सार्वभौम प्रेम (Universal Love)- प्रेम सफलता का एक और सिद्धान्त है। प्यार करो और प्यार पाओ, यही लक्ष्य है। जैसे हाथ को जीवित रहने के लिए, उसे शरीर के सब अंगों को प्यार करना होगा। यदि वह अपने को अलग करके सोचने लगे कि मेरी कमाई का लाभ समग्र शरीर क्यों उठाये? कमाता तो मैं हूँ, मुख को खिलाता मैं हूँ, ऐसा सोचकर वह शरीर को भोजन न कराये तो क्या होगा? शरीर के दुर्बल होने पर वह भी शक्तिहीन हो जायेगा। यदि शरीर को खिला-पिला के वह हृष्ट-पुष्ट करता है तो वह भी सुखी। इसलिए हम जब सर्व से प्रेम करते हैं और सबकी सेवा करते हैं तो हम भी फलते-फूलते हैं। जो व्यापारी अपने ग्राहकों के स्वार्थों को अपने समान समझता है और उनकी खुशी को अपनी खुशी मानता है वह सफलता पाता है।
- प्रसन्नता (Cheerfulness)- एक और साधन जो सफलता के सम्पादन में महत्वपूर्ण भाग लेता है, वह प्रसन्नता है। हम सभी स्वभाव से ही प्रसन्नचित्त हैं। कोई दुःखी होता है तो सभी पूछते हैं कि तुम दुःखी क्यों हो ? प्रसन्न स्वभाव वाला सभी को प्रिय लगता है। तुम मानव जाति की हँसती हुई कलियाँ हो, तुम प्रसन्नता की मूर्ति हो, अतः समय के अन्त तक अपने जीवन का यह लक्ष्य दृढ़ रखो।
अपने परिणामों के पुरस्कार के लिए चिन्तित न हो, भविष्य की परवाह न करो, संशयों को त्याग डालो, सफलता और असफलता का विचार न करो। कार्य के लिए कार्य करो। काम अपना पुरस्कार आप ही है। भूतकाल पर बिना खिन्न हुए और भविष्य की बिना चिन्ता किये जीवित वर्तमान में काम करो, काम करो। केवल काम का भाव (जिसमें इच्छा नहीं है) तुम्हें सब अवस्थाओं में प्रसन्न रखेगा। प्रसन्नचित्त उद्योगी कार्यकर्त्ता को प्रकृति हर प्रकार की सहायता का वचन देती है।“The way to more light is the faithful use of what we have”.
यदि हमें एक अंधेरी रात में 20 मील की यात्रा करनी है और हमारे हाथ में टॉर्च की रोशनी केवल 10 फुट ही जाती है तो समग्र प्रकाशित रास्ते का विचार मत करो, बल्कि प्रकाशित दूरी पर चलो और इस रीति से 10 फुट रास्ता अपने आप और प्रकाशित हो जायेगा। फिर कोई भी स्थल हमें अप्रकाशित न मिलेगा।
केवल परिणाम के बारे में सोचना ऐसा है जैसे छाया के पीछे भागना। किन्तु छाया की ओर पीठ करके, सूर्य की ओर चल पड़ो तो देखोगे छाया तुम्हारे पीछे-पीछे आयेगी। ज्योंही तुम सफलता की ओर से अपनी पीठ फेरते हो, ज्योंही तुम परिणामों की चिन्ता त्याग देते हो। ज्योंही तुम अपनी उद्योग शक्ति, अपने उपस्थित कर्त्तव्य पर एकाग्र करते हो, त्योंही सफलता तुम्हारे साथ हो जाती है। अतः सफलता को लक्ष्य न बनाकर प्रसन्नचित्त होकर केवल कार्य करो। - निर्भीकता (Fearlessness)- भगवान ने गीता में दैवी सम्पदा का पहला लक्षण बताया है ‘अभय’ अर्थात् निर्भय। अपने लक्ष्य की प्राप्ति के लिए निर्भय होकर आगे बढ़ते चलो। जो डर जाता है वह मर जाता है।
कबूतर, बिल्ली के सामने किस तरह अपनी आँखें बन्द कर लेता है। कदाचित् वह समझता है कि बिल्ली उसे नहीं देख रही, क्योंकि वह बिल्ली को नहीं देखता। होता क्या है? बिल्ली कबूतर पर झपटती है और खा जाती है। निर्भय होकर तो शेर भी पालतू हो जाता है, अन्यथा तो बिल्ली भी हमें डरा देती है।
आपने देखा होगा कि थर्राता हुआ हाथ तरल पदार्थ को एक बर्तन से दूसरे बर्तन में ठीक से नहीं डाल सकता, वह अवश्य गिरेगा। किन्तु एक स्थिर, अशंक हाथ, बिना एक बूँद भी गिराये बहुमूल्य पदार्थ को उलट-पुलट कर सकता है।एक बार एक जहाज़ पर एक पंजाबी सिपाही बहुत बीमार हो गया। डाॅक्टर ने उसे जहाज़ से फेंक देने का आदेश जारी कर दिया। सिपाही को इस बात का पता चल गया और वह एक असीम शक्ति से उछल पड़ा और सीधा डाॅक्टर के पास पहुँचा। उसने पिस्तौल डाॅक्टर के सीने पर तान दी और चिल्लाया ‘क्या मैं बीमार हूँ‘? डाॅक्टर ने तुरन्त ही उसे स्वस्थता का प्रमाण-पत्र दे दिया। निराशा ही दुर्बलता है और निर्भीकता शक्ति है।
- स्वाबलम्बन (Self Reliance)- स्वाबलम्बन या आत्मनिर्भयता सफलता की कुंजी है। यह नियम है कि परमात्मा उसी की सहायता करते हैं जो अपनी सहायता स्वयं करते हैं।
आप स्वयं आत्मा हैं और सर्व शक्तिमान हैं। जब आप स्वयं के आधार से कार्य करते हैं तो सफलता अवश्य मिलती है। तुम्हारे सामने असम्भव कुछ भी नहीं है, बस हिम्मत मत हारो।
सिंह वनराज है, अकेला ही रहता है। हाथी हमेशा दल बनाकर रहते हैं और सोते समय अपनी रक्षा के लिए प्रहरी नियुक्त कर देते हैं। आश्चर्य की बात है कि उनमें से कोई भी एक अपनी सामर्थ्य पर भरोसा नहीं करता है। वे विशालकाय होते हुए भी अपने को निर्बल समझते हैं। एक सिंह सम्पूर्ण हाथियों के समूह को भयभीत कर देता है, क्योंकि उसे अपने ऊपर विश्वास है। यद्यपि एक ही हाथी चलता-फिरता पहाड़ है जो कई सिंहों को अपने पैरों से कुचल डाल सकता है।एक कहानी प्रचलित है कि दो भाईयों को पैतृक संपत्ति में बराबर का हिस्सा मिला। कुछ वर्षों बाद एक तो गरीब हो गया और एक लख़पति हो गया। जब अमीर से पूछा गया कि वह धनी कैसे हुआ? तो उसने बताया कि मेरा भाई सदा दूसरों से काम लेता और कहता- ‘जाओ काम करो।’ नौकर मालिक की अनुपस्थिति में काम नहीं करते थे इसलिए धीरे-धीरे घाटा होता गया और वह निर्धन हो गया। जबकि मैं सदैव अपने काम पर उपस्थित रहता और सेवकों से कहता- ‘आओ काम करें।’ जाओ-जाओ वाले का सब कुछ चला गया और आओ-आओ वाले के पास सुख-समृद्धि सब आ गये। इस प्रकार हमने देखा कि स्वाबलम्बन ही सफलता की कुंजी है।
जो इन सफलता के सिद्धांतों को जीवन में लाने की कोशिश करते हैं, वे अवश्य ही सफलता की ओर अग्रसर होते हैं।
सफलता तो हर कोई पाना चाहता है व महंत भी करता है परंतु मेरे सतगुरु किरों करके सफलता के इतनी गूढ़ रहस्य इतने सरल तरीक़े से बताते हैं। बहुत बहुत शुकराने भगवान जी। collection of pictures are really very good with deep meaning. ???
Guru Bhagwan ji ke anant anant shukrane ? A very motivational article for achieving the success in every field of life .
Guru bhagwan ji ke shukrane hai.Guru bhagwan ji Hard work is the key of success.Guru bhagwan ji aapne is proverb ko detail mein samjhaya hai.Hum aapke sanidhye mein aapke kripa se Mehmet karna chahte hai.Aayo kaam kare ka formula bahut hee badia hai.Thank you so much for guide us.
Shukrane bhagwan ji bahut hi motivational article hai
Saflata ke 7 sutra aapne examples ke sath jo bacho ko bhi ache se samajh aaye
Guru bhagwan ke anant anant shukrane hai
गुरू भगवान जी गुरू माँ जी अपने बच्चों को सफल बनाने के लिए अथक मेहनत कर रहे हैं, अनेक युक्तियों, अनेक उदाहरणों से हमें सफलता के पथ पर आगे बढ़ा रहे हैं।
हाथी व शेर का example बहुत सीखने वाला है।
आपकी कृपा के अनंत अनंत शुक्राने हैं। ??
Guru bhagwan ji guru maa ke prem ke anant anant shukrane he bhagwan ji aapne bhut sunder sat safalta ke sutr bataye he Hey nath aap har pal unko prerit karte ho anant anant shukrane bhagwan ji
Principles to get success r explained in very gud manner in above article…we mst try in our practical life and mst tell our kids too…very very great article ..big thanks to our mentor??
Guru bhagwan ji ke anant anant shukrane hai
Guru bhagwan ji hume har tarah se samjha rahe hai or example deker samjhaya hai sabke hit ke liye jina chayiye ??
सफलता का रहस्य बहुत अच्छे से समझाया भगवान जी , बहुत ही अच्छे उदहारण के साथ । बहुत Motivating और inspiring ।
आपके अनंत शुक्राने हैं भगवान जी ।
राधे राधे भगवान जी ??
Principle of success are very well explained.
Thanks to our mentor for such a nice article
हे मेरे परम पूज्य सद गुरु भगवान जी आप जी की अनंत महिमा को ह्रदय से कोटि कोटि नमन है ?आप जी की ही असीम कृपा से ही सब कुछ हो रहा है ?आप जी को कभी भूलूँ नहीं राधे राधे मेरे परम पूज्य सद गुरु भगवान जी ?♀️?♀️?♀️?♀️❤❤?????
बहुत सुन्दर तरह से उदारहण के साथ सफलता के सात सूत्र बताये गये हैं। बहुत ही प्रेरणादायक है। पूज्य गुरु भगवानजी और पूज्य गुरु माँ जी की मेहनत व प्रेम के अनन्त शुक्राने हैं।
Its too good and very inspiring motivational saying…. Thank you so much Guru ji.
सफलता का रहस्य आर्टिकल पढ़कर बहुत कुछ सीखने को मिला छोटे-छोटे पॉइंट्स बहुत ही अच्छे सरल तरीके से बताएं हैं उन्हें ध्यान में रखते हुए हम काफी आगे बढ़ सकते हैं
गुरु भगवान की अनंत अनंत शुकराने
A motivating and very well explained article with good examples…. easy to understand. Thank you Bhagwan ji for always making us to improve upon.
Radhey Radhey bhagwan ji ??bahut hi suder lekh hai safaltaa ke sabhi gun bataaye hai ??