You are currently viewing Ayurvedic Health Tips

Ayurvedic Health Tips

आयुर्वेद में दिनचर्या और ऋतुचर्या के पालन को बहुत महत्व दिया गया है। इसका कारण यह है कि रोगी का उपचार करने के स्थान पर, व्यक्ति को निरोगी रखना आयुर्वेद का प्राथमिक उद्देश्य है।

दिनचर्या- दिनभर के आहार, विहार के नियम, जिनके पालन से हम रोगमुक्त रह सकते हैं।
ऋतुचार्य- प्रत्येक ऋतु के स्वभाव के अनुसार, उसमें हितकर आहार-विहार करना, जिससे सभी स्वस्थ रहें।

सर्दी के मौसम में आयुर्वेद के अनुसार दो ऋतुएँ आती हैं –

1 हेमंत ऋतु – अक्टूबर मध्य से दिसंबर मध्य तक
– मीठी मीठी ठंड,
– ⁠कफ़ दोष की प्रधानता
– ⁠भूख का बढ़ जाना

2  शिशिर ऋतु – दिसंबर मध्य से फ़रवरी अंत तक
– चिलचिलाती ठंड, सर्द हवा
– ⁠वात व कफ़ दोष की प्रधानता
– ⁠भूख बार बार लगना
– ⁠शरीर मेंरूखेपन का बढ़ना
– ⁠ खाँसी,जुकाम, सर्दी व दमा की शिकायत रहना
– ⁠ जोड़ों का नसों के दर्द का बढ़ाना
– ⁠ शरीर में अकड़न रहना, Acidity की सम्भावना अधिक होना 

आइए शिशिर ऋतु में करने योग्य व अयोग्य बातों को जानते हैं-

न करने योग्य बातें (DON’TS)

  • विहार
    -दिन में देर से उठना
    -रात में देर तक जागना
    -दिन में सोना
    -रोज़ ना नहाना
    -अत्याधिक गर्म पानी से नहाना
    -प्रतिदिन सिर धोकर नहाना
    -पानी का सेवन न करना
    -सर्दी के कारण आलस में बैठे रहना
  • आहार
    -समय पर आहार का सेवन न करना
    -अत्याधिक भूख लगने पर बिना विचारे कुछ भी खा लेना
    -सलाद, कच्ची सब्ज़ी का सेवन करना
    -बासी खाना खाना, ठंडा खाना खाना
    -खाने के बाद एक दम सोना यह आलस करना
    -अत्यधिक खट्टा (अचार, चटनी) खाना
    -cold drink, soda, ice-cream इत्यादि का सेवन करना
    -snacking – Sweets, नमकीन, Fried कचौड़ी, समोसा इत्यादि

करने योग्य बातें (DO’S)

  1. विहार
    -समय पर सोना व जागना
    -सुबह शौच इत्यादि से निवृत्त होकर
    ➡ संपूर्ण शरीर पर तेल-मालिश करना
    ➡ warm-up exercise करना
    ➡ प्राणायाम (सूर्य-भेदी प्राणायाम, अग्निसार क्रिया)
    ➡ योगाभ्यास करना
     ➡ धूप सेवन करना
    -धूप न आने पर- शरीर को relax करने के बाद, गुनगुने पानी से नहायें
    -दिन में minimum 2 बार व्यायाम जरुर करें
    -रात को सोते समय नाक में, नाभि में – 2-2 बूँद तेल डालें व आस-पास मालिश करें
    -कान के आस-पास, forehead पर, पैरों के तलवों पर तेल मालिश अवश्य करें।
    तेल कौन सा लें – तिल तेल, बादाम तेल, सरसों का तेल, जैतून का तेल।
    -अत्यधिक गर्म पानी का प्रयोग करने से त्वचा की नमी (Natural body oils) हट जाते हैं, इसलिए नहाने के लिए गुनगुने पानी का प्रयोग करें
    -शरीर को संपूर्ण रूप से ढक कर रखें, सिर पैर व कान शरीर में ठंड के द्वार हैं, इन्हें ढक कर रखें।
  2. आहार
    -हर प्रांत में प्रत्येक ऋतु के अनुसार ही फल, सब्ज़ियां इत्यादि उपलब्ध होते हैं, अतः प्रकृति के अनुसार ही आहार को ग्रहण करना चाहिए।
    -अनाज (Grains)
    जौं, ज्वार, बाजरा, चौलाई (रामदाना), दलिया, गेहूं आटा, चावल, Oats, कुट्टू आटा, सिंघाड़ा आटा, चना आटा, Quinoa
    -दालें (Legumes)
    लोबिया, काला चना, सफ़ेद चना, चना मटर
    (मूँग दाल प्रत्येक मौसम में उत्तम)
    -सब्ज़ियाँ –
    चुकंदर, गाजर, पालक, बथुआ, मेथी, बंद-गोभी, फूल-गोभी, सरसों, शलगम, इत्यादि।
    -फल –
    आँवला, केला, अंगूर, चीकू, संतरा, अमरूद, अनार इत्यादि

आँवला दिन के किसी भी समय ले सकते हैं, अलग अलग समय पर लेने से उसके अलग अलग फायदे हैं।
रोज लें – ज़ीरा, हरा धनिया, धनिया पाउडर, हींग, अदरक, सोंठ, अजवायन, दालचीनी, लौंग, मेथी, इलायची, केसर, तुलसी, गीलोय, आँवला (किसी भी रूप में) (जितना आपसे संभव हो सके)।

Healthy snacks for Winters-

1. Vegetable soup
2. Moringa (drumstick) soup
3. Moong-Dal soup
4. Tomato-carrot-beet root soup
5. Brocolli soup
6. Mushroom soup
7. आँवला-गाजर चटनी
8. Boiled sprouts – chana sprouts, moong bean sprouts
9. White chana ‘HUMMUS’ with bread toast
10. Bhuna chana
11. Peanuts – Salted or plain
12. Roast Dry fruit Mixture
13. Roasted seed Mixture
14. Salted and Roasted Pista
15. Muesli-Ragi-Nuts Khajur Barfee with or Without Milk
16. Pinni / dry fruit laddu with gondh (Guggulu) and ashwagandha – once a day

मौसमी बीमारी से बचने के लिये गुरु भगवानजी व गुरु माँ जी द्वारा बताये इन practical टिप्स को follow करें –

* काली इलायची मिश्रित चाय (Black cardamom)
* गाजर का हलवा, तिल के लड्डू, गजक, पिन्नी – सर्दी के मौसम के लिए विशेष सूखे मेवे के लड्डू (इसमें थोड़ा अश्वगंधा भी मिल सकता है)
* च्यवनप्राश
* सुबह का सर्दी में धूप
* केसर या हल्दी या छुहारे के साथ उबाला हुआ दूध – रात्रि में सेवन करने के लिए
* बच्चों के लिए- उन्हें गरम रखने के लिए ब्रैंडी या कोई भी alcohol न दें। बच्चों को 1-2 बूँद शिलाजीत (आयुर्वेदिक स्टोर्स में उपलब्ध) के साथ ½ कप दूध में दें।
* दही सभी अन्य ऋतुओं में आमतौर पर टाला जाता है, लेकिन इस मौसम में उचित मात्रा में सेवन किया जा सकता है, क्योंकि मौसम हमारे शरीर को भारी भोजन को पचाने के लिए तैयार करता है।
* वजन बढ़ाने के लिए और स्वस्थ वजन बनाए रखने के लिए सर्वश्रेष्ठ ऋतु।

A. सिरदर्द:

1. नाक बंदी के कारण
– भाप + नासिका में तेल
– अदरक + काली मिर्च + शहद
2. गैस की समस्या के कारण
– सौंफ + मोटी इलायची + धागे वाली मिश्री
– अजवाइन चाय, सौंफ चाय
3. कब्ज या मल निकासी में कमी को नजरअंदाज न करें
4. ठंडी हवाओं के कारण
5. सिर को स्कार्फ, शॉल, टोपी इत्यादि से ढ़के रखें
6. पैरों में गरम मोज़े पहनें (अन्नु तेल, बादाम या तिल का तेल भी लगा सकते हैं)

B. Nose Block/Sinusitis/ नज़ला

– व्यायाम
– भाप
– नासिक तेल – बादाम तेल या औषधीय अणु तेल
– सरसों तेल से पैर मालिश

C. सीने में जमा कफ

– भाप
– तिल तेल (100 मिली) + सैंधा नमक (10 ग्राम) – मिला कर गरम करें – सीने पर रब करने के लिए उपयोग करें, और फिर गर्म सिकाई (रबर बॉटल या Heating pad)।
– पैर की मालिश – सरसों का तेल

D. सूखी खांसी

* सीतोप्लादि चूर्ण 3 छोटी चमच
* + देसी घी 2 छोटी चमच
* + शहद 1/2 छोटी चमच

E. कफ के साथ खांसी

* सीतोप्लादि चूर्ण 3 छोटी चमच
* + देसी घी 1/2 छोटी चमच
* + शहद 2 छोटी चमच
मिलाकर दिन में 4 बार चाट लें ताकि शीघ्र स्वस्थ हो सकें।

F. गैस – ब्लोटिंग

यह एक संकेत है कि आपका शरीर आपके भोजन को पचा नहीं पा रहा है।
तो, अपने भोजन के पैटर्न को बदलें। कुछ दिन हल्का खायें, व अपनी भूख से थोड़ा कम खायें। व्यायाम करें।

G. कब्ज

आमतौर पर शरीर में सूखेपन के कारण होना, आँतो में हलचल ना या कम होने के कारण। व्यायाम करें
* दूध से सौंफ और घी,
* या दूध और सूखे अंजीर,
* दूध और मुनक्का, या त्रिफला चूर्ण + घी के साथ गरम पानी के साथ लें।

This Post Has 9 Comments

  1. Poonam Tandon

    इतनी अच्छी जानकारी के लिए धन्यवाद 🙏
    गुरु जी व गुरु माँ को प्रणाम शुकराने

  2. Rekha Sandhu

    Very Useful tips or winters ….Anant anant shukrane Bhagwan ji 🙏

  3. Kanta gupta

    अति महत्वपूर्ण जानकारी के लिए हृदय से नमन है🙏 अनंत अनंत शुकराने है🙏

  4. Chandra Daryani

    Guru Bhagwan ji or guru maa ko koti koti naman guru Bhagwan ke anant sukrane radhe radhe Bhagwan ji. Guru maa ke anant sukrane जो हर बात का घ्यान रखते हैं। गुरु भगवान जी और गुरु माँ जी की कृपा मेहनत के अनन्त अनन्त शुकराने है राधे राधे भगवान जी

  5. Kirti

    Bahut hi badhiya jankari hai 🙏
    Guru bhagwan jee ke anant anant shukrane hain 🙏📿🙏

  6. Bharti

    Very Helpful.
    हमें तो इन बातों की जानकारी ही नहीं थीं।
    इस लाभदायक जानकारी के लिए आभार, शुकराने।
    🙏🙏🙏

  7. Anita Malhotra

    गुरू भगवान जी गुरू मां जी के निष्काम प्रेम को शत शत नमन है।
    आपके द्वारा दी गई सारी जानकारी बहुत महत्वपूर्ण है।
    आप जी को कोटि कोटि प्रणाम व शुकराने।

  8. Anju+Rana

    Very useful tips for the prevailing season.All can be got from the kitchen.
    Guru Bhagwan ji and Guru Ma ji many many thanks for posting this article which shall benefit all.

  9. Anu

    अति उत्तम
    बहुत ही मेहनत से लिखा गया लेख है
    सर्वोत्तम जानकारी के साथ
    हृदय से आभार

Comments are closed.