अहंकार और प्रेम
दृष्टान्त- एक बार नदी को अपने तेज बहाव पर गर्व हो गया, वो अपने साथ झोपड़ियाँ, वृक्ष, रेत बहाकर ले जाने लगी। उसका घमंड बढ़ता ही गया, वो समुद्र से जा मिली और बोली, देखो मेरी ताकत मैं कुछ भी बहाकर ला सकती हूँ, बोलो तुम्हें क्या चाहिए ?
समुद्र ने कहा- मुझे कुछ नहीं चाहिए, हाँ ! ला सकती हो तो मुझे थोड़ी सी नरम घास ला दो, पर नदी सफल ना हो सकी, मायूस होकर लौटी, समुद्र ने हँसकर पूछा, क्या हुआ ? बड़े-बड़े वृक्ष उखाड़ फैकने वाली, घास नहीं ला सकी ? नदी उदास स्वर में बोली-क्या करूँ ? मैं घास उखाडने जाती हूँ, तो वो झुक जाती है, मेरा पानी सिर के ऊपर से निकल जाता है, बार-बार मैं प्रयत्न करके थक चुकी हूँ। नदी का अहंकार चूर-चूर हो गया।
इसका सिद्धान्त गुरु भगवान बताते हैं-
“अहंकारविमूढ़ आत्माकर्त्ताअहंइतिमन्यते”
अहंकार से मोहित व्यक्ति सोचता है, कि सब काम मेरे करने से हो रहा है, वो यह भूल जाता है कि इसके पीछे सत्ता किसकी है ? गुरु का निष्काम प्रेम होता है, जो हमारी दृष्टि भगवान की तरफ़ कराते हैं। गुरु बताते हैं, कि- हमें यह अनमोल जीवन भगवान से प्रेम करने के लिये मिला है। भगवान से प्रेम का अर्थ है- हर समय भगवत् स्मृति बनी रहे।
इसके लिये थोड़ी-थोड़ी देर में कहते रहें-
- हे नाथ! मैं आपको भूलूँ नहीं।
- हे नाथ! मैं आपका हूँ और आप मेरे हैं।
- हे नाथ! आप मुझे प्यारे लगें।
- हम भगवान के हैं ऐसा मानते ही अहंकार मिट जाता है। अहंकार के मिटते ही सारी परेशानियाँ खत्म हो जाती हैं और अंदर में प्रेम आ जाता है।
एक म्यान में दो तलवारें एक साथ नहीं रह सकती या तो अहंकार रहेगा या भगवान रहेगें ।
हम अपना जीवन कैसे जियें, हमारे सामने दो मार्ग हैं – प्रेम से या अहंकार से! चुनाव हमें करना है ?
अहंकार दुख देता है।
अहंकार है-
1. शिकायतें करना-
हमारे दिन की शुरूआत कैसे होती है? शिकायतों से , जैसे –
घर छोटा है, income ज़्यादा नहीं है। उदास रहते हैं कि कोई पूछता नहीं है, प्रेम नहीं करता है।
2. तुलना करना-
अहंकारी कभी खुश नहीं रहता, हमेशा दूसरों से तुलना करता है, उसे लगता है कि वो ज़्यादा लायक है, पर उसे कम मिला है। ये सोचकर दुखी रहता है।
3. गल्ती ना मानना-
अहंकार कभी भी पुराने घावों को भरने नहीं देता, उन्हें कुरेद-कुरेद कर बनाए रखता है। अपने को सही साबित करने के लिए गल्ती पे गल्ती करता है। दूसरों को कभी माँफ नहीं करता।
4. सिर्फ मैं और मेरेवालों के लिए जीना-
आसक्ति दुख देती है।
मेरा-मेरा करेगा तो मर जाएगा।
तेरा-तेरा करेगा तो तर जाएगा।
अहंकारी सिर्फ अपने लिए या अपने परिवार के लिए जीता है और दुखी रहता है।
5. संसार की याद में रहना-
जगत का चिन्तन करेंगे तो चित्त में विषयों का चिन्तन चलेगा, किसी व्यक्ति का चिन्तन करेंगे तो उसी की qualities अंदर आएंगी। चिन्ता, फिक्र, राग-द्वेष होगा।
6. डर-
अहंकार चाहे कितना भी दमदार हो, अंदर में डरता रहता है, दूसरा मुझसे आगे न निकल जाए। insecurity की feeling हमेशा बनी रहती है। अहंकार शान्त नहीं रहने देता। चिन्ता करता रहेगा, डरता रहेगा।
7. सुख लेने की इच्छा-
अहंकारी में ‘‘मैं‘‘ कैसे सुखी हो जाऊ का भाव होता है। वो शरीर के साथ पूरा तदात्मय कर लेगा, बस अपने को खिलाना, पिलाना, सजाना इसी में लगा रहेगा। इच्छा में विघ्न पड़ने पर क्रोध करेगा।
8. Judgement करना-
अहंकारी व्यक्तियों और घटनाओं को judge करता रहता है, और उन्हें अच्छे -बुरे का label देता रहता है।
प्रेम सुख देता है।
प्रेम है-
1. शुक्राना मानना-
परमात्मा का शुकराना है जो मनुष्य जन्म मिला।
गुरु का शुकराना जो सच का ज्ञान दिया।
पूरी प्रकृति का शुकराना जो हर तरह से पाँचों तत्व हमें सहयोग दे रहे हैं।
2. सन्तुष्ट रहना-
प्रेमी सन्तुष्ट रहता है वो मन ही मन परमात्मा से प्रार्थना करता है, मैं तो इतने के लायक भी नहीं था, आपने तो मुझे बहुत दे दिया।
यह सन्तुष्टि गुरु भगवान की कृपा
और उनके ज्ञान से आती है।
3. स्वीकार भाव-
प्रेमी अपनी गल्ती को स्वीकार करता है, अपनी गल्ती की माँफी माँगता है, दूसरों की गल्ती होने पर उन्हें माँफ कर देता है, क्योंकि वो सबमें भगवान देखता है।
4. सर्वहित के लिए जीना-
जब हम गुरु भगवान की शरण में आते हैं गुरु ही हमसे संकल्प कराते हैं, कि मेरा जीवन सर्वहित के लिए हो।
सर्वे भवन्तुसुखिनः, सर्वे सन्तु निरामयाः।
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु, मा कश्चिद्दुःखभाग्भवेत्।।
5. भगवान की याद में रहना-
जिसका चिन्तन करेंगे उसी का रूप हो जाएंगे। गुरु का चिन्तन होगा, गुरु के वचन याद आएंगे। पूरा दिन प्रेम, समर्पण, शुक्रानों में बीतेगा।
प्रभु व्यापक, सर्वत्र समाना। प्रेम से प्रगट होय, मैं जाना।।
6. निडरता-
खुद भी आगे बढ़ता है, दूसरों को भी आगे बढ़ाता है। सबको आगे बढ़ता हुआ देखकर खुश होता है। उसके अंदर सबके लिये प्रेम होता है, प्रेमी हमेशा शान्त रहता है।
7. सुख देने की इच्छा-
प्रेमी का देने का भाव होता है। मैं चाहे दुख उठा लूँ किन्तु अन्य सुखी हो जाएं। प्रेम माना सुख स्वरूप। जो स्वयं सुख स्वरूप है, दूसरों को भी सुख ही पहुँचाएगा। तन, मन, धन से सबको सुख देगा। सेवा भाव रहेगा।
8. Non Judgmental-
प्रेमी घटना, परिस्थिति, वस्तु, व्यक्ति को देखकर कोई label नहीं करता वो सबमें भगवान देखता है।
यह हमारे ऊपर depend करता है कि अहंकार की वजह से शिकायतें करते हुए जीवन को नरक बनाए या शुक्राना मानते हुए जीवन को स्वर्ग बनाए।
गुरु भगवान ने बताया कि भगवान के प्रेम में रहो और जब-जब अहंकार आए तो इन उपायों से अपने अंहकार को नींवा करो-
- ये मत सोचो कि मेरा भगवान से कितना प्रेम है बल्कि ये सोच कर नींवा हो, कि भगवान का मुझसे कितना प्रेम है। मैं भला उन्हें क्या दे सकता हूँ सब कुछ तो उन्हीं का दिया हुआ है, भगवान के निष्काम प्रेम को feel करें।
- अपने मन को देखना सीखें, जब भी उल्टे विचार आने लगें तो जानो कि अहंकार आ गया है।
- प्रेम में अद्भुत शक्ति है। जब भगवान के प्रेम में रहते हैं तो मन शुकरानों में भीगा रहता है, हर कार्य सेवा भाव से होता रहता है, भारी नहीं होते। जो कार्य उमंग, उत्साह, प्रेम से किया जाता है वो सबको आनन्द देने वाला होता है।
- प्रेम बढ़ता है तो अहंकार घटता है। प्रेम बढ़ रहा है तो ज़रूर अहंकार लय हो रहा है।
- गुरु भगवान के द्वारा कराया निश्चय हमेशा याद रखें कि – मैं भगवान का हूँ और भगवान मेरे हैं।
- जैसे आँखें स्वयं को नहीं देख सकती, दर्पण चाहिए। ऐसे ही साकार गुरु चाहिए भगवत्दर्शन के लिए।
Anant anant shukrane hain Guru Bhagwan ji.For self improvement this article is vey inspiring and thank you for always guiding us for our elevation ।
All the points on ego and prem are worth pondering upon always.
शुकराने गुरू भगवान जी,, गुरू की शरण मे ही अपने ego को देखना आया, देखा हर जगह ही हम अहंकार से भरे दुखी सुखी हो रहें थे, दोष दुसरो को देते थे आज गुरू कृपा से देखना आया तो इससे ऊपर उठने की कोशिश भी हो रही है, very nicely explained ego nd love, गुरू भगवान जी v गुरू माँ जी की अथक मेहनत से ही हम कुछ समझ पा रहें है
Guru bhagwanji k shree charno m koti koti pranam h vandan h Aapki athak mehnat h, hamen har pal bhagwan ki yad dilate hai hey nath aapko bhule nhi,Aapke nishkam prem v kripa ko hirday s feel karte rhe . aap ke prem k anant anant shukrane hai
Guru Bhagwanjii Guru Maajii…aapke bhut bhut shukrane hai…ego aur Prem ka bhut sunder laikh …jub jub ye aaye Hume pata chal paye…ye ego hai..ya Prem hai..bhut khushi hoti hai…aaj jeevan mai Guru hai..jo humehamri kami batakrussse opper karte hai…aapke shri charno mai koti koti naman hai
गुरु भगवान जी को कोटि कोटि नमन है गुरु भगवान जी ने प्रेम और अहंकार का बहुत सुंदर तरह से समझाया हमें दोनों में अंतर बहुत बढ़िया तारीके से बताया हमारे गुरु भगवान जी हमें प्रेम में टिका रहे हैं और अहंकार से ऊपर उठा रहे हैं गुरु भगवान जी के अनन्त अनन्त शुक्राने है राधे राधे भगवान
Bahut hi sundar article hai Bhagwaan ji ?. Aapne hi humko prem aur ego ki pehchan karwayi hai. Bhagwaan se prathna karte hai ki ye sabhi baatein humare jeevan me lag jaye. Shukrane Guru Bhagwaan aur Guru maa ke
शुकराने गुरु प्रेम के बारे में बहुत अच्छे ढंग से समझाया and अहंकार क्या होता है वो हम समझाया गुरु जी धन्यवाद आपका?????☺️
राधे राधे मेरे परम पूज्य श्री सदगुरु भगवान जी व मेरी परम पूजनीय सदगुरु माँ जी ???
गुरु भगवान जी की निष्काम सेवा व प्रेम के अनन्त अनन्त शुक्राने है जो हमारे जीवन मे क्या जरूरी है प्रेम या अहंकार का चुनाव हमे करते है और गुरु बताते है कि हमारे जीवन मे प्रेम ,नम्रता का भाव होना चाहिए हमारी दृष्टि भगवान की तरफ करते है हर समय भगवत स्मृति बनाये रखते है
हे नाथ मै आपको भूलूँ नही।
हे नाथ मै आपका हूँ और आप मेरे है।
हे नाथ आप मुझे प्यारे लगे।???
भगवान जी आपके प्रेम भरी कृपा के अनन्त अनन्त अनन्त शुक्राने है जो आपने बहुत सुंदर तरीके से हमे समझाया है ?????
गुरु भगवान जी के प्रेम के अनंत अनंत शुक्राने है भगवान जी आपने प्रेम और अंहकार की पहचान कितने सूंदर ढंग से द्रष्टान से समझाया ।क्या हम हर समय शिकायत करते है या जो मिला है उसका शुक्राने मानते है।है नाथ हमारी दृष्टि हर पल शुक्राने पर रहे आपने मुझको इतना दिया है जिसके हम काबिल भी नही है आपके प्रेम के शुक्राने है
Very nice article..points mentioned in above article r very very thoughtful..we don’t remember all these in our life practically..but guru ji guide us time to time to improve our thinking level..our ego can spoil our mental growth. Very thankful to our mentor?
गुरु भगवान जी के अनन्त शुक्राने हैं।गुरु भगवान जी हमने आपकी कृपा से जाना कि अहंकार होता है तब हम शिकायते, तुलना करना, अपनी गलती नही मानना, मेरे वालों के लिये जीना सबसे महत्वपूर्ण कि संसार की चिन्तां करते है तो चित में विषयो का चिन्तन होता है उनकी qualities आती है।
।हे नाथ! हमारे अंदर केवल आपका ही चिन्तन हो।हे नाथ! ऐसी कृपा करे।हे नाथ! मैं आपका हूँ आप मेरे हो।गुरु भगवान जी हमारा जीवन सर्व के हित के लिए हो।आपके प्रेम के millions of millions शुक्राने है।हे नाथ! हम आपके समर्पित बच्चे हैं।
Guru Bhagwan ji k shukrane hain.
Bhagwaan ji bahut acha example dekar hume ego and prem ka matlab samajhaya. Aap ka prem hi ego ko samjane ki shakti deta hai. Have to improve on myself…. and for this your guidance is always needed.
Radhe Radhe Bhagwan ji.
गुरु भगवान जी के अनंत शुक्राने है।
भगवान जी आप ही हमें अहंकार और प्रेम में अंतर समझाते हैं, और हमें, हमारे अहंकार से उठाकर प्रेम कि ओर ले जाते हैं।
आपकी कृपा से अब समझ में आ रहा है कि हमारे कौन से action अहंकार वाले होते हैं और कोन से प्रेम के।
आपकी कृपा से आज से यह प्रयास रहेगा , कि हमेशा प्रेम वाले action ही हो।
गुरु भगवान जी के श्रीचरणों में दण्डवत प्रणाम है।
??????
Very inspiring article…..we need to understand .as guru bhagwanji says we should be statisfied in every situation.anant anant shukarne?
Ati sunder aur jeewan nirmaan ke liye useful points hain.
Ati ati shukrane bhagwanji
Radhe radhe bhagwan ji. Kitne ache ye baat batayi he ki prem hi is duniya ka adhaar he. Ego se itni dikkatein aur mushkilein ati he ki unse niklna kaise ho samjh nai ata. Aur ek taraf prem he jis se jeewan kitna saral aur bhagwanmaya ho jata he. Apke bhut bhut shukrane hain??
बहुत ही खूबसूरत article है भगवान जी।
पहले अहंकार और प्रेम की पहचान, फिर कैसे हम अपने अहंकार को प्रेम में बदल सकते हैं ये सिर्फ आप जैसे निष्कामी गुरु ही सिखा सकते हैं।
आपके अनंत अनंत शुक्राने हैं, आपको शत शत नमन है।
Guru Bhagwan ji ko hirdey se koti koti naman h ?♀️?♀️ Aapke nishkam prem ke anant anant shukrane bhagwan ji ?? aap ki ahtak mehnat jo humey pal pal bhagwan se jodne v prem badane k tips dete h or humey egoless bhi bana rahey h ki har karm bhagwan k samrpit karte jaoo ??
Aapki kirpa v prem ke anant anant shukrane h .
Jeevan ko badal dane wali baat h. अहंकार ke baare mai bahut saari jaank kari di bahut hi useful aur jeevan mey badlav laane wala article h.
भारतीयउत्पादन.com ke blogs , articles and recipes are the best! Guru bhagwan ji ke anant anant shukrane hain. Thank you so much bhagwanji.
Rsdhey tasdhey bhagwan ji koti koti naman hai
अनंत अनंत शुक्राने शुक्राने शुक्राने शुक्राने शुक्राने मेरे परम पूज्य सद गुरु भगवान जी ??♀️??♀️??♀️?इतने सरल भाव से आप जी ने प्रेम और अहंकार को बताया ??आप जी की ही असीम कृपा से भगवान याद रहे ऐसा अभ्यास हो रहा है ?आप जी को कभी भूलूँ नहीं राधे राधे मेरे परम पूज्य सद गुरु भगवान जी
गुरु भगवानजी आपके प्रेम एवम् कृपा के बहुत बहुत शुकराने है ।
आपने प्रेम तथा अहंकार मै अंतर कितने प्रेम से समझाया।
अहंकार के तरह तरह के रूप बताए जैसे,शिकायत करना, गलती नहीं मानना, तुलना करना, डर कर रहना,सुख लेने की इच्छा करना जजमेंट करना।
आपने अहंकार के दूर करने के उपायों के बारे मै भी बताया।
प्रेम के बारे मै बताया, यानी शुक्राना मानना, संतुष्ट रहना, स्वीकार भाव मै रहना, सर्व हित मै जीना।
भगवान जी आपका तहे दिल से शुक्रिया है जो आप अपने इन्नोवेटिव लेखों द्वारा हमारा मार्गदर्शन करते है।
गुरु भगवानजी और गुरु माँ आपके प्रेम के बहुत बहुत शुकराने है भगवानजी। आपने कितने अच्छे से points के through हमें प्रेम और अंहकार में अंतर समझाया। आप ही हमे हर चीज़ कितनी प्रेमपूर्वक समझाते है और हमें प्रेम करना सिखाते है। आप ही हमे भगवानजी का शुकराने मानना सिखाते है गुरु भगवानजी। सारे शुकराने सारी समझ सारा प्रेम आपका है गुरु भगवानजी और गुरु माँ???
राधे राधे गुरुभगवानजी। आपके अनंत अनंत शुक्राने हैं जो इतने प्रेम से समझाते हैं। आप ही हमे अहँकार की ,मन की पहचान करना सिखा रहे हैं। आप ही हमे जीवन को जीना सिखा रहे हैं।आप ही हमे शुकराना मानना सिखा रहे हैं।
हे नाथ! हम आपको भूलें नही हे नाथ! मैं आपका हूँ आप मेरे हैं। आप ही हमे प्यारे लगे । सारी समझ प्रेम कृपा आपकी । सारे शुक्राने आपके हैं गुरुभगवानजी।
नदी और समुद्र का उदाहरण बहुत सूंदर है। प्रेम और अहंकार को point wise समझाया गया है। अहंकार को झुकाने के तरीके भी बहुत लाभ वाले हैं। अनन्त शुक्राने।
Guru bhagwanji is doing their duty very devotionally now we need to follow these rules in our life nd make our life meaningful..really only GURU can improve our knowledge abt living gud life.very very thankful to our guru bhagwanji ?? very very precious vachan written in this above article..always shukarne?
Guru bhagwaan ji k Aanat Aanat shukrane hai???? Na milte tum agar satguru na jane hum kaha jate hume baasra pakar satane gum chale aate????? Radhe Radhe bhagwaan ji?????
गुरु भगवान जी बहुत ही अच्छे से अंहकार वा प्रेम की पहचान बताई है ।
समुद्र वा नदी के दृष्टांत से एक बात ये भी समझ में आयी भगवान जी हमें कई बार लगता है हैं सब कर लेंगे पर जब नहीं कर पाते तब लगता है कराने वाले भगवान है।
सतगुरु भगवान जी आपके अनंत अनंत शुक्राने हैं जो हमें अहंकार से प्रेम में ला रहे हैं ।
गुरु भगवान जी के अनंत अनंत शुकराने हैं
गुरु भगवान जी के श्रीचरणों में कोटि कोटि नमन
Radhey radhey bhagwan ji?? aap k prem k anant anant shukrane hai, aap se hi ahnkaar pi pahchaan mili ,aap ne hi prem sikhaaya, aap ke divine prem se hi ye ahnkaar galta h bhagwan ji ??ना मिलते तुम अगर सतगुरु ना जाने हम कहा जाते, हमे बे आसरा पाकर सताने गम चले आते..???????♀️?♀️
अहंकार ही सब दुख का मूल कारण है।पर वह है क्या इसकी वास्तविक पहचान हमें गुरू भगवान से ही मिल रही है।
अनन्त अनन्त शुकराने हैं गुरू भगवान के।
गुरु भगवानजी की अनन्त कृपा है जो हमें अहंकारऔर प्रेम की पहचान दे रहे हैं। गुरु जी अपना निष्काम प्रेम देकर हमारे अहंकार को नींवा करना सीखा रहे हैं। हृदय से प्रार्थना है कि ये अनमोल वचन हमारे जीवन में आयें। आपके अनन्त शुक्राने ।
शुकराने गुरु जी…..इतने अच्छे से आपने समझाया है कि प्रेम और अहंकार क्या है…..कितनी बारीकी से clear किया है……..
Raadhe Radhe Bhagwan ji. The difference between Ego and Prem is very well explained. It is only with your guidance and divine love it becomes easier to understand and follow it. Many many thanks for your untiring efforts.
अहंकार और प्रेम के बारे में बहुत अच्छे से गुरू जी आपने
समझाया। इनको जीवन में मानकर यहीं पर स्वर्ग बना
सकते हैं।
सद्गुरु भगवान जी के आपके प्रेम और कृपा के अनंत अनंत शुकराने
Guru bhagwan ji ke anant anant shukrane hai
Guru bhagwan ji hi Hume prem or ahankaar ke baare me samjhate hai
Guru bhagwan ji ne hi Hume jhukna sikhaya hum bahut ahankaari or ghamandi the
Yah to guru ki athak mahnat se humare ander thoda bahut prem jagrat hua hai
Ashe sadguru bhagwan ji ke anant anant shukrane hai ??
गुरु भगवान के तहे दिल से शुकराने हैं जो अहँकार व प्रेम का इतना सुंदर विवेचन इस लेख द्वारा हमे प्रदान किया ।
एक एक पॉइंट का इतना सटीक विश्लेषण ….. अनंत कोटि नमन है भगवन
Bahut bahut shukrane bhagwanji , itni acchi aur sachi samajh dene ke like.
Aapke prem k anant anant shukrane hain Bhagwan ji..
Bahut sunder lekh hai.. ahenkaar ki pehchaan k saath us ko neevan karne k upaaye bhi.. shukrane Bhagwan ji..
Hey Nath m aapko bhulun nahi.. Hey Nath hum aapka hoon Aap hi hamare hain.. Hanare hridey m prem aaye yahi Prathna Nath Charno m Aapke???
गुरु भगवान जी गुरू माँ के प्रेम के अनन्त शुकराने है आप कितने अच्छे से point’s में प्रेम और अंहकार की समझ देते है हम आपकी कृपा से जान पाते है कि कहाँ क्हाँ हमारा अंहकार होता है और कहाँ प्रेम होता है भगवान जी हमारा जीवन प्रेम से भर जायें ऐसी प्रार्थना आपके श्री चरणों में करते है बहुत बहुत शुकराने भगवान जी??
Guru bhagwan ke anant anant anant shukrane
Me bhagwan ka hu bhagwan mere he
Hey nath me aapko bhulu nahi
Guru bhagwan ke anant shukrane
आपके बहुत बहुत शुकराने हैं गुरु जी, अहंकार होता क्या है, यह बहुत अच्छे से elaborative way में सीखने को मिला।
आपकी कृपा से अहंकार की पहचान पता चली।?
प्रेम की सच्ची परिभाषा सीखने को मिली।
आपके बहुत बहुत शुकराने हैं भगवान जी।
????
बहुत अच्छे तरीके से अहंकार और प्रेम के बारे में बताया। जीवन बदल देने वाले points हैं। शुक्राने
गुरु भगवानजी आपके प्रेम के अनंत-अनंत शुक्राने हैं ?
गुरु भगवानजी आपने ही हमें हमारे अहँकार की पहचान कराई है l जीवन में प्रेम आये, नम्रता भाव आये ऐसी अनमोल युक्तियाँ बताई हैं l आपके श्री चरणों में प्रार्थना है कि जीवन में गुरु वचन आयें l गुरु भगवानजी आपके अनंत प्रेम व कृपा के अनंत-अनंत शुक्राने हैं
हे नाथ ! आपको भूलूँ नहीं l
गुरु भगवानजी आपके प्रेम एवम् कृपा के बहुत बहुत शुकराने है ।
आपने प्रेम तथा अहंकार मै अंतर कितने प्रेम से समझाया।
अहंकार के तरह तरह के रूप बताए जैसे,शिकायत करना, गलती नहीं मानना, तुलना करना, डर कर रहना,सुख लेने की इच्छा करना जजमेंट करना।
आपने अहंकार के दूर करने के उपायों के बारे मै भी बताया।
प्रेम के बारे मै बताया, यानी शुक्राना मानना, संतुष्ट रहना, स्वीकार भाव मै रहना, सर्व हित मै जीना।
भगवान जी आपका तहे दिल से शुक्रिया है जो आप अपने इन्नोवेटिव लेखों द्वारा हमारा मार्गदर्शन करते है।
अहंकार और प्रेम की पहचान इस लेख के द्वारा बहुत अच्छी प्रकार से हुई ।
अहंकार को नींवा करने के लिए जो pointsऔर उपाय इस article में बताये गये वो मुझे बहुत अच्छे लगे।
गुरु भगवान जी ‘हमें ये सभी blogs पढना बहुतअच्छा लगता है ।
बहुत सीखने को मिलता है ।
Thankyou Gurubhagwanji .
गुरु भगवान एवं गुरु मां के श्री चरणों में कोटि कोटि वंदन है गुरु गुरु भगवान ही हमें प्रेम और अहंकार के अंतर को समझाते हैं आपकी कृपा से ही हमें समझ आता है कि प्रेम क्या है बहुत ही सुंदर ढंग से sabhi points ko explain Kiya hai जो हमारे रोज के जीवन में बहुत ही महत्व रखते हैं आपकी कृपा के अनंत अनंत अनंत शुकराने हैं
बहुत बहुत बढ़िया बात बताई है,
यदि हम ठीक से इन बातों को समझें तो जीवन अच्छा हो सकता है।