हर बच्चा एक अलग CD है। वो अपने साथ जन्मों-जन्मों के संस्कार लेकर आता है और इस जन्म में वो जो करता है उसका संस्कार बन जाता है।
सनातन धर्म में 16 संस्कार बताये गए हैं।
- गर्भाधान संस्कार
- पुंसवन संस्कार
- सीमन्तोन्नयन संस्कार
- जातकर्म संस्कार
- नामकरण संस्कार
- निष्क्रमण संस्कार
- अन्नप्राशन संस्कार
- मुंडन संस्कार
- कर्णवेधन संस्कार
- विद्यारंभ संस्कार
- उपनयन संस्कार
- वेदारंभ संस्कार
- केशांत संस्कार
- सम्वर्तन संस्कार
- विवाह संस्कार
- अंतिम संस्कार
इसलिए जन्म के पहले से लेकर जब तक शरीर इस संसार में रहता है, संस्कारों का विशेष महत्व होता है।
बच्चों को अच्छे संस्कार देना माता-पिता, और घर के बड़ों का कर्तव्य होता है जिससे बच्चा भगवान् से जुड़े, भक्त बने, अपने जीवन का लक्ष्य परमात्मा प्राप्ति करे, देश व समाज सबके लिए हितकारी हो, स्वयं खुश रहे और अपने आस-पास के लोगों को ख़ुशी दे सके।
गुरु भगवान कहते हैं जो हमारे पास होता है वही हम किसी को दे सकते हैं। बच्चे हमें देखकर ही सीखते हैं, हमारा जैसा आचरण होता है बच्चे भी वही करते हैं। बच्चा जो देखता है, सुनता है, महसूस करता है सब संस्कार बन जाते हैं।
90% बच्चे के व्यक्तित्व का विकास 7 वर्ष की उम्र तक हो जाता है इसलिए जो संस्कार बचपन में दिए जाते हैं उसका असर जीवन भर रहता है।
कहा जाता है- जैसा खाये अन्न वैसा बने मन। यदि हमारी कमाई ईमानदारी की है, उसमें से कुछ सर्वहित के लिए निकालते हैं तो बच्चों में भी वही संस्कार जाते हैं।
बच्चों को अच्छे संस्कार देने के लिए ये बातें जरुरी हैं –
- सत्संग का नियम हो –
बच्चों को अच्छे संस्कार गुरु के सानिध्य में ही मिलते हैं इसलिए बच्चों को बचपन से ही सत्संग से जोड़ें।
- बच्चों को बिना शर्त के प्रेम करें (Love unconditionally) –
कहीं हम बच्चों से इस तरह तो नहीं बोलते –
“तुम्हारे अच्छे marks आयेंगे तब हम तुम्हें प्यार करेंगे या तुम ये काम करोगे तब तुम्हें प्यार करेंगे।”
इसका मतलब है हम बच्चों को conditions के साथ प्रेम करते हैं।
बच्चे के मन में एक security रहे, हम जैसे भी हैं सब हमें वैसे ही प्रेम करते हैं। जब बच्चे आपके प्रेम को feel करते हैं तो वो अपनी हर बात आपको बताएँगे। जब उन्हें जरुरत होगी तो आपसे मदद लेंगे। प्रेम को दिखाने के लिए बच्चों को गले लगायें।
- बच्चों को Quality Time दें –
बच्चों को अच्छे संस्कार देने के लिए माता-पिता के पास समय का होना बहुत जरुरी है। बच्चे को संसारी पढ़ाई सिखाने के लिए हम 2-4 घंटे daily देते हैं पर अच्छे संस्कार देने के लिए कितना समय देते हैं ? जब बच्चा हमसे समय मांगे तब उसे समय दें और वो पूरा समय केवल बच्चे के लिए हो उसमें हम मोबाइल, लैपटॉप या अपना और कोई काम नहीं करें।
- बच्चे को आशीर्वाद दें –
कई बार हम अपनी व्यस्त दिनचर्या के चलते बच्चों को आशीर्वाद देना ही भूल जाते हैं। समय-समय पर बच्चों को खूब आशीर्वाद दें। बड़ों का आशीर्वाद बच्चों के जीवन को अच्छा बनाता है।बच्चों से कहें “तुम्हारा खूब भगवान से प्रेम बढ़े, एक सच्चा और अच्छा इंसान बनो, खूब खुश रहो, तुम्हारा जीवन सबके हित के लिए हो”।
- जो हम बच्चों के लिए नहीं चाहते उसे कभी नहीं बोलें –
जैसे कई माता-पिता की शिकायत होती है बच्चे खाना नहीं खाते। वो दिन में कई बार बोलते हैं- “बच्चा खाना ही नहीं खाता”। पर हम चाहते हैं कि हमारा बच्चा अच्छे से खाना खाये इसलिए वह बोलें जो हम चाहते हैं। जब खाना बनायें या बच्चों को खाना खिलायें, उस समय शुद्ध भाव रखें और कहें “भगवान् जी आप इन बच्चों के रूप में बहुत अच्छे से खाना खाते हैं “।
- बच्चे किसका संग करते हैं इस बात का विशेष ध्यान रखें –
जैसा हम संग करते हैं वैसा ही हमारा जीवन हो जाता है। संग का मतलब है बच्चे क्या देखते हैं (TV, मोबाइल पर ) क्या सुनते हैं व उनके दोस्त कौन हैं, इस बात का विशेष ध्यान रखें।
बच्चों को ये संस्कार जरूर दें –
- बच्चों को मेहनती व ईमानदार बनाएं –
बच्चों को खूब मेहनत करना सिखायें, हर काम बच्चे सीखें। घर के भी सब काम बच्चों को सिखायें, ध्यान रखें की बच्चा अधिक देर तक खाली ना बैठे व बिना कारण बच्चे लेटे न रहें। बच्चों को ईमानदारी से काम करना सिखायें, ईमानदारी के महत्व को भी बच्चों को समय- समय पर बताते रहें।एक बार एक पिता नुमाइश में अपने 2 बच्चों को ले गए, बच्चों की उम्र 15 व 11 साल थी जबकि 10 साल तक के बच्चों की टिकट नहीं थी। पिता ने 3 टिकट मांगी। टिकट देने वाला, पिता को जानता था उसने कहा- 2 टिकट में भी काम चल जायेगा। आपका छोटा बच्चा 10 साल से कम का ही लग रहा है और यहाँ मेरे अलावा कोई देख भी नहीं रहा।
पिता ने कहा – “पर मेरे दोनों बेटे देख रहे हैं और सुन भी रहे हैं। यदि आज मैं ऐसा करूँगा तो ये दोनों बच्चे जीवन भर के लिए बेईमानी सीख जायेंगे।” - बच्चों को भगवान से जोड़ें –
छोटी छोटी बातों से बच्चों को भगवान से जोड़ें – जैसे घर से निकलने व खाना खाने से पहले ३ बार भगवान का नाम लें। बच्चों को शुक्राना मानना, प्रार्थना करना, भगवान को याद करना सिखायें। बच्चे कहानी के माध्यम से जल्दी सीखते हैं इसलिए हम उन्हें भगवान की कहानियाँ, लीलायें, भक्त चरित्र सुनाएँ। - अनुशासन बच्चों को जरूर सिखायें –
बच्चों को सिखायें कि हमारे जीवन में कुछ नियम हों और उन नियमों का पालन हमें जरूर करना है। वो नियम छोटे-छोटे भी हो सकते हैं जैसे सुबह उठकर शुक्राना मानना।दृढ़ता से नियम का पालन करने से हमारे जीवन में अनुशासन आता है। बच्चों को अनुशासन सिखाने के लिए हमें कभी-कभी कठोर भी होना पड़ता है जो बिलकुल ठीक है। हर समय बच्चों को लाड़-प्यार से पालने से उनमें सहनशीलता की कमी हो जाती है। हमारा उद्देश्य बच्चों का जीवन निर्माण करना है ना की बच्चों को खुश करना।
- बच्चों का एक टाइम टेबल हो –
बच्चे सुबह जल्दी उठें, उठकर सबसे पहले भगवान्, गुरु, माता-पिता को प्रणाम करें, शुकराना मानें, धरती माता को नमन करें।नहाकर महामंत्र की 1 माला या श्रीमद्भगवद गीता का एक श्लोक पढ़े तब स्कूल जाएँ। स्कूल से आकर बैग जगह पर रखें। भोजन प्रसाद लेने से पहले शुकराना मानें। आधा घंटा आराम करें, Home work करके शाम को Physical Activity, Exercise, dance, Aerobics करें। घर के काम में मदद करायें और सोने से पहले गायत्री मन्त्र या महा मन्त्र का जप करें।
- बच्चों को बड़ों की सेवा करना व सबको देना जरूर सिखायें –
बच्चे बड़ों की बात मानें, उन्हें जवाब ना दें। बच्चों को serve करना सिखाएं, जैसे घर में कोई आये तो उन्हें पानी दें। रात को सोने से पहले माता-पिता के चरण दबायें।
कुछ मातायें बच्चों को सिखाती हैं टिफ़िन को छिपाकर खाना, किसी को दिखाना मत। आगे चलकर वो बच्चे अपने माता-पिता से ही हर चीज छिपाने लगते हैं, इसलिए बच्चों को sharing and caring सिखायें, बच्चों के हाथ से सबको दिलवायें जिससे उन्हें देना आये।
NOTE –
गुरु भगवान कहते हैं- “जिस काम में हमारा दिल, दिमाग व हाथ तीनों ही लग जाते हैं वह काम बढ़िया होता है। भगवान ने हमें माता-पिता बनाकर देश की नई पीढ़ी के भविष्य निर्माण की सेवा दी है। इसे हम पूरी मेहनत से करें।”
जब हम बच्चों को मोह से पालते हैं तो बच्चे बिगड़ जाते हैं। बार-बार भगवान से प्रार्थना रहे कि- “भगवान जी ये बच्चे आपके हैं, हम आपके घर में रहते हैं, आपके बच्चों की सेवा करते हैं। बच्चों को अच्छे संस्कार आप ही दिला सकते हैं हमारी सामर्थ्य नहीं है।”
पूज्य गुरु भगवानजी और पूज्य गुरु मां जी, आपके निष्काम प्रेम, कृपा, करुणा और निरन्तर की मेहनत को नमन है जो आप हम बच्चों को भगवान से जोड़ रहे हैं और अच्छे संस्कार भी दे रहे हैं। feeling blessed
बहुत ही मेहनत और प्रेम से सारे points को इतने सुन्दर ढंग से compile किया गया है। अनन्त शुकराने।
गुरू भगवान जी आपके प्रेम के शुक्राने है आपजी सिखा रहे है की बच्चो को हम बचपन से क्या संस्कार दे रहे है आपजी ने सिखाया बच्चो को भक्ति के संस्कार दे भगवान से जोड़े जैसा हम करते है वैसा ही बच्चे सीखते है बहुत सुंदर है आपजी की कृपा के अनंत अनंत शुक्राने
बहुत ही बढिया शिक्षाप्रद लेख है। 🙏🙏😊
Anant shukrane Bhagwan ji for such a nice & good
Information Every child is a new CD bhagwan ji
Ye point jarur yad rakhengy apji sab trah se hmari
Sambhal kar rahe h baccho se unconstitutional love
Karna chahiye bt Bhagwan ji hmse ulta chalne pr wo love dur ho jata h kabhi kabhi isko hme samajhna hoga dil se shukrane 🙏🙏🙏🙏
गुरु भगवान जी को हृदय से नमन है।गुरु भगवान जी आप हमें बच्चों से unconditional love करना सीखा रहे है।जो बच्चा सुनता है, महसूस करता है जो देखता है वो उसका संस्कार बन जाता है।बहुत ही अच्छे से इस article को हमें समझाया है।भगवान के बच्चे जानकर सेवा करनी है।बहुत बहुत शुक्रिया गुरु भगवान जी
सतगुरु भगवान जी व गुरु माँ जी के अनंत शुक्राने हैं जो हमें हर तरह की समझ दे रहे हैं, हमारे साथ इतनी मेहनत कर रहे हैं,
आपके प्रेम के अनंत अनंत शुक्राने हैं भगवान जी
भगवान जी बहुत अच्छे से बच्चों के संस्कार,उनसे बातचीत का तरीका बताया गया है।अनंत शुकराने भगवान जी
A very useful and informative article on how to bring up children and grandchildren also .
Thanks for sharing all the 16sanskars did not know many of them .
Since we are child of God,Guru ji many rules apply to us also .,so that they be imbibed in me ,in order to impart to children.
Anant anant shukrane Bhagwan ji.