जब गुरु के प्रति अटूट श्रद्धा, दिव्य प्रेम और समर्पण की बात आती है तो हमारे अन्तस् में एक ही मिसाल उभरती है ‘उमा भगवान’। उन्होंने अपना सम्पूर्ण जीवन गुरु-चरणों में समर्पित कर दिया।
गुरु कहें- “सागर का पानी मीठा” तो कहिये, “हाँ जी! हाँ!” – यही उनके जीवन का लक्ष्य था।
सदा से यह रीति चली आ रही है कि जब संत जगत में आते हैं तो उस समय उन्हें पहचानने वाले प्रेमी भक्त बहुत थोड़े होते हैं। बाद में लोग उन्हें भगवान के रूप में पहचानते हैं और उनकी महिमा गाते हैं। ऐसा ही उमा भगवान के जीवन में हुआ। उनके विराट जीवन को व्यक्त करना सूर्य को दीपक दिखाने मात्र है, किन्तु जो भी उनके जीवन में देखा वह इन शब्दों में अनुस्यूत है।
पूज्य अम्माजी के शरीर का जन्म अलवर (राजस्थान) में 22 सितम्बर 1924 में घर कि बड़ी पुत्री के रूप में एक संस्कारी परिवार में हुआ। घर में बड़े होने के कारण माता ‘राजरानी’ के साथ घर कि जिम्मेदारी और छोटे भाई-बहनों को पालने में पूरा सहयोग दिया। तत्पश्चात अम्माजी का विवाह सन 1943 में अलीगढ के एक जमींदार घराने के ‘श्री जगदीश प्रसाद सिंघल‘ के साथ हुआ जो कि अलीगढ़ मुस्लिम विश्व विद्यालय के कैमिस्ट्री विभाग में लेक्चर्र थे।
शुरू से ही बड़े घराने की बहू होने के नाते ससुराल में पूरी सेवा और मर्यादा का पालन किया। भगवत कृपा से उन्हें तीन पुत्र रत्नों की प्राप्ति हुई। उन्होंने माँ के दायित्व को भी बहुत अच्छी तरह निभाया। वे सर्दियों के दिनों में बच्चों को अँगीठी पर गर्म किये कपड़े पहनाते थे। उनका बच्चों के प्रति यही मोह, सद्गुरु का सानिध्य पाकर गुरु प्रेम में परिवर्तित हो गया।
अम्माजी बाहर से जितने सुन्दर थे उतनी ही सुंदरता उनके भीतर भी समाहित थी। उनका व्यवहार बालकवत था, अंदर और बाहर एक। जो भी बात उन्हें कहनी होती थी, निःसंकोच कह देते थे। उनका हृदय एकदम सरल एवं पवित्र था। उनका जीवन सात्विक और राजसी गुणों का मिश्रण था। उनको घर का हर काम बहुत कायदे से करना पसंद था, घर के काम के साथ-साथ सिलाई, कढ़ाई, क्रोशिया, बैडमिंटन, चैस व पेंटिंग बनाने का शौक था। वह हर कार्य को पूरे मनोयोग से करते थे।
उनका पारिवारिक जीवन ठीक प्रकार चल रहा था पर प्रकृति उनसे बहुत बड़ा कार्य कराना चाहती थी और उसके लिए तैयारी विपदाओं से शुरू हुई। अचानक 21 वर्ष के जवान पुत्र का शरीर शांत हो गया, थोड़े समय बाद ही सास का, फिर हार्ट फेल से पति का, उसके पश्चात् ससुर की मृत्यु ने आपके जीवन को निराशा, दुःख और चिंता के गहरे अंधकार में धकेल दिया, जिसने आपकी पूजा-पाठ, व्रत आदि में आस्था को बिलकुल छिन्न-भिन्न कर दिया।
अम्माजी के जीवन में परिवर्तन
आपने कहीं सुन रखा था की सत्संग से शांति मिलती है। आप भगवान से प्रार्थना करते, “हे भगवान! मुझे सत्संग मिले।” अब जैसे दीपक, तेल व बाती सभी तैयार थे। जीवन में वैराग्य, भक्ति तो थी ही, जरुरत थी तो सद्गुरु के सानिध्य रुपी ज्योति की। सच्चे हृदय से की गयी प्रार्थना कबूल होती है। एक बार लखनऊ से आपकी ननद आईं, जो आपको लखनऊ साथ ले गयीं। वहाँ पहली बार आपने गीता भगवान की शिष्या ‘प्रमिला जी’ से सत्संग सुना और वहाँ से गीता भगवान की वाणी की कैसेट लीं।
लखनऊ से अलीगढ़ आते ही आपने सूटकेस से कैसेट निकाली और छोटे से टेप- रिकॉर्डर में लगाकर अपने पुत्र ‘सिद्धार्थ भैयाजी’ एवं बहू ‘ममता भाभीजी’ को बुलाया। कैसेट शुरू करके आपने कहा- “सुनो! हमारे गुरु क्या कहते हैं।“ इसी पल से अलीगढ़ में सत्संग की शुरुआत हुई।
सन 1982 में आपको वह सुनहरा अवसर मिला जब आपने पहली बार ‘गीता भगवान’ का साक्षात् दर्शन किया और उनके अमृत वचनों को हृदय में संजोया। दो जोड़ी कपडे लेकर आप दो दिन के लिए गए थे, पर गुरु के आत्मिक प्रेम में ऐसे डूब गए की ढ़ाई महीने बाद अलीगढ़ वापस आये।
“नजर गुरु की जिसपे हो जाये, बन्दे से वो तो खुदा हो जाये।”
अम्माजी ने अपने अनुभव में बताया कि 60 साल में जो ख़ुशी मुझे नहीं मिली, वो गीता भगवान के सानिध्य में ढ़ाई महीने रहकर हुई। गीता भगवान से जो आपका रूहानी मिलन हुआ उसने आपके आत्म-निश्चय को दृढ़ किया और अंदर की लगन, शौक, तड़प को पहले से ज्यादा बढ़ा दिया।
आपकी तीव्र जिज्ञासा, गुरु भक्ति और सेवा भाव ने बहुत जल्दी आपको गुरु के निकट पहुँचा दिया। आपको शांत और मौन रहना पसंद था। आप सेवा के इतने शौक़ीन थे कि छोटी से छोटी सेवाओं में भी आप पीछे नहीं रहते थे।
अम्माजी का त्याग और तपस्या
गीता भगवान के श्रीमुख से आपको आत्मा कि बात सुनना बहुत प्रिय लगता। शुरू से ही आत्म-ज्ञान आपको बहुत प्रिय लगा और यही आत्मा का ज्ञान आपके श्रीमुख से निकलता। जब भी कभी गुरु के पास से बुलावा आता, अम्माजी फ़ौरन जाने को तैयार हो जाते। चाहे घर में कैसी भी हालत-परिस्थिति हो, चाहे अपना शरीर ही अस्वस्थ हो। आपके लिए “गुरु का बुलावा काल का बुलावा“ था।
गुरु वाणी में आपने सुन रखा था कि जो गुरु के निष्काम प्रेम और आत्म ज्ञान को सिर्फ अपने तक सीमित रखता है वह चोर है। उन्हें लगता था कि अगर मैं गुरु का वचन सबको नहीं सुनाऊँगी तो चोर कहलाऊँगी। अम्मा जी ने गुरु का ये वचन ज्यों का त्यों उठाया, जिसके फलस्वरूप आपने अपना तन, मन, धन सब न्यौछावर कर दिया। इसके लिए इतनी कुर्बानी की कि सुबह 11 बजे सत्संग के लिए निकलते और 4 बजे घर वापस आते।
गुरु का कार्य आप इतने निष्काम भाव से करते कि सत्संग करते समय पानी भी नहीं पीते। वहाँ उनके घर का काम भी कराते और कहते कि तुम बस सत्संग सुनो। आपने अपनी एक-एक साँस, खून का एक-एक कतरा गुरु के निष्काम यज्ञ में अर्पण कर दिया।
आपका नियम था कि आप सुबह,दोपहर एवं रात में तीनों समय गीता भगवान कि वाणी जरूर सुनते थे जब कभी रात को देखा जाता, उनके कमरे कि लाइट जलती हुई मिलती- जिसमें वो या तो ध्यान कर रहे होते या गुरु के लिए पत्र लिख रहे होते।
अम्माजी का आत्म-निश्चय
गुरु का कराया निश्चय- “तुम शरीर नहीं आत्मा हो” वह सभी को पक्का कराते थे। आपका जीवन सर्व के हित के लिए ही रहा। आप हर समय हर आने वाले साधक के साथ ज्ञान चर्चा के लिए तत्पर रहते। आपका ज्ञान का शौक और अनन्य गुरु भक्ति अनुकरणीय थी। आप हर प्रश्न का उत्तर आत्मा से ही देते थे। जैसे कोई कहता, “मैं बहुत परेशान हूँ, दुखी हूँ।” तो उत्तर देते, “तू क्या मन है? तू तो आत्मा है आत्मा में दुःख कहाँ?
अगर कोई कहता, “आप तो बहुत बीमार रहते हैं, आपकी तो प्रारब्ध बहुत कठिन है।” तो कहते, “मैं आत्मा हूँ, आत्मा में बीमारी कहाँ होती है। प्रारब्ध तो शरीर की है, मुझ आत्मा की कोई प्रारब्ध नहीं है।“ अम्माजी कहते थे, “आत्मा के निश्चय में रहो, आत्मिक गुणों का चिंतन करो और मुख से जवाब निकले तो आत्मा का ही निकले।“
जो प्रेमी आपके पास आते उन्हें परमार्थ के साथ-साथ व्यव्हार की बात भी समझाते थे। अपना आदर्श दिखाकर सबको सिखाते कि कैसे उठना, बैठना, चलना चाहिए, कैसे नम्रता भाव से सेवा करनी चाहिए। नम्रता और प्रेम की वे अद्भुत मूर्ति थे। उनके पास जो भी आता उनके प्रेम और भोलेपन से मुग्ध हो उन्हीं का होकर रह जाता।
“ओ मेरे सतगुरु दयाल सतगुरु,
क्या तुमने मुझको नहीं दिया है,
अकूत खजाना देकर के कहते,
मैंने कुछ भी नहीं दिया है।”
‘गुरु की डाँट मोहन थाल से भी प्यारी है।’ आपने कभी भी गुरु के आगे अपनी सफाई में कुछ नहीं कहा। गुरु के हर वचन को स्वीकार किया। आपकी जो प्रीत गुरु से थी, वही प्रेमियों को भी अनुभव हुई।
जिसने आपको पाया, उसने सब कुछ पा लिया। जिसने आपको देखा, उसने सब कुछ देख लिया। जिसने आपको जाना उसे किसी और की चाहत न रही। गीता भगवान जैसे सद्गुरु के पास जाकर काँच कैसे हीरा बन गया। श्रीमती उमा सिंघल (साधारण घरेलु स्त्री) उमा भगवान बन गए। गुरु के सानिध्य में आपका संघर्षों से भरा जीवन कुंदन की भाँति चमक उठा।
अम्माजी का महासमाधी दिवस
20 दिसम्बर 1993, सब प्रेमी सत्संग के लिए पहुँच रहे थे, गीता भगवान के भजन चल रहे थे। पूज्य भैयाजी एवं भाभीजी बैठे हुए थे, एकदम शांत एवं सम। थोड़ी देर बाद भैयाजी ने सब प्रेमियों से कहा कि आप सब जाकर अंदर अम्माजी का दर्शन कर आएं, अम्माजी ब्रह्मलीन हो गए हैं, ज्योत-ज्योत में समा गयी है। सभी प्रेमी अवाक् रह गए।
भाव पूर्ण हृदय से सभी प्रेमी अपने प्रियतम सद्गुरु को अंतिम विदाई देते हुए ये महसूस कर रहे थे कि अम्माजी अपने प्रेमी भक्तों के हृदय में समा गए हैं तथा सभी के स्वासों कि धड़कन बन गए हैं।
पूज्य अम्माजी मसीहा बन कर आये। अपने सामने उन्होंने किसी भी प्रेमी भक्त से पैर नहीं छुलवाये, पूजा नहीं करवाई, हार-फूल-माला नहीं चढ़वाई। उन्होंने सबको निष्काम प्रेम देकर आत्मा का निश्चय पक्का कराया। आपके तन, मन, धन की कुर्बानी और अतिशय अनन्य गुरु भक्ति के साथ-साथ आत्मज्ञान का जबरदस्त शौक आज भी आपके स्वरुप पूज्य भैयाजी, पूज्य भाभीजी में दिखाई देता है।
अम्माजी अपने गुरु को बहुत प्रेम व भाव से याद करते हुए शुकराना मानते थे और यह भजन गाया करते थे –
“सतगुरु तुमसे लगन मेरी लागी रहे,
ब्रह्माकार वृत्ति मेरी जागती रहे।”
जीवन को प्रभावित करने वाले तो बहुत गुरु मिल जाते हैं, पर जो जीवन को प्रकाशित करें, मंजिल तक पहुचाएँ, ऐसे सद्गुरु दुर्लभ होते हैं।
“जो जीवन का मार्ग दिखाकर,
स्वयं मिटकर, जीव भाव से हमें उठाकर,
कर दे जीवन को दैदीप्यमान,
वही हैं मेरे गुरु भगवान।”
गुरु भगवान के अनंत अनंत शुक्राने।।
अम्मा जी के श्री चरणों में कोटि कोटि नमन है, 🙏🙏🌹🌹❤️🙇
हम सबके पूज्ये व प्यारे सतगुरु भगवान divine उमा भगवान जी को हृदये से नमन हैं। आपका जीवन एक ऐसे मसीहा का जीवन था जिसने खुद को गुरु प्रेम मे मिटा कर भगवान को प्रगट किया। स्वयम जागे और फिर सबको जगाने मे लगे रहे। आपकी तपस्या, आपका त्याग, आपकी लगन ,आपकी निष्कामता सर्व से प्रेम, सर्व के हित की भावना, हम सब को एक आदर्श बनकर सदा हमारा मार्गदर्शन कर रही है व सदा करती रहेगी। ऐसे रहबर का मिलना भगवान जी की विशेष कृपा है। हमारा जीवन भी आप जैसा निष्कामी बन पाए ऐसी प्रार्थना है। 🙏🙏🙏
Very inspirational story Of Ammaji🙏🙏we r short of words in praise of such a Divine soul. We can learn from her sacrifices nd determination in the path of devotion to God. Always thankful 🙏🙏
Pujyaneya Ammaji k Shree charano me barambar Naman hai 🙏 Ammaji trap aur tapasya qurbani k phalanx hai satsang roopi bagiya hai , jinme hum sab phool bane huve hai. Sare Shukrane aur mehanat Ammaji k hai joh hame yeh Anmol satsang mila. Anantt koti Shukrane hai Prabhuji 🙏
गुरु भगवान के शुक्राने , अम्मा जी के बारे मे padhkar बहुत अच्छा लगा और प्रेरणा मिली
गुरु भगवान जी को नमन हैं , अम्मा जी को जिस उम्र में सत्संग मिला और हम सभी को इतना बड़ा और प्रेम भरा परिवार मिला। यह सिर्फ वो ही कर पाए। वंदन हैं उनके गुरु प्रेम और निष्कामता को। राधे राधे भगवन जी।
अलीगर में सत्संग बनाना,खून पसीना एक करना,अपना तन,मन धन परिवार सब कुछ गुरु कार्य मे लगाना
ये उच्चतम आदर्श है divine उमा भगवन जी का
जब भी उमा भगवन जी की बात चलती है वो कैसे होंगे उनका अक्स आंखों में आ जाता है।
उनकी कुर्बानी,घर घर जा कर सत्संग जमाना ,टोटल निष्कामी और सत्संग की जड़ को इतना मजबूत करना कि।आज वो सबके हृदय में विराजमान हो गए।
आप मुक्त औरों को भी मुक्त कराए
अम्मा जी की वाणी बड़ी प्यारी लागे।
मीठे रस से भरी रे ऐसी वाणी लागे।
अति जीवंत,दिल को छूने वाली जीवनी।
अनंत शुकराने हैं
Bhagwan ji apke prem ke bhut bhut shukrane he. Kaise apne apna poora jeewan guru ke vachno ko hum sab tak phuchane me lgaya, kaise apne gyan ki jyoti hum sabko ko dikhayi.. apke bhut bhut shukrane he. Hum to sansar me yuhi jeewan ji rhe the. Lakin apka sanidhya pakar lgta he bas ap hi is naiya ko age le ja rhe he. Satguru tumse lagan meri lagi rhe. Shukrane bhagwan ji 🙏🙏
अम्मा जी का जीवन, उनकी रहनी, उनका गुरु प्रेम, सत्संग के प्रति उनका शौक एक महान आदर्श और प्रेरणा है जीवन के आध्यात्मिक एवं व्यवहारिक दोनों पक्षों को समझने के लिए! गुरु भगवान एवं गुरु माँ के अनंत अनंत शुक्राने हैं जो अम्मा जी के सत्संग को हमतक पहुंचाया ! कोटि कोटि नमन् हैं!🌷⚘🌻🙏🌻⚘🌷
परम पूजनीय अम्मा जी को शत शत नमन है।अम्मा जी के त्याग तपस्या और लग्न हमारे लिए अनमोल रत्न है।आप जी के आदर्श से ये बगिया बहुत ही फलफूल रही है और हम आप जी के बगिया के फूल है।सतगुरू भगवान जी अवम पूजनीय गुरू माँ जी इस बगिया को बहुत ही अच्छे से आगे बडा रहे है।आप जी के निष्काम प्रेम के अनन्त शुक्राने है🙏🙏
Thanx for sharing such a inspiring biography of divine ammaji
Sht sht naman hein unke shree chrno m
आज गुरु भगवानजी व गुरु माँ जी के अनंत शुकराने hein, जिनकी अथक मेहनत से हम अम्मा जी के जीवन से सीख पा रहें हैँ
परमपूज्य परमश्रद्धेय अम्मा जी भगवान जी के श्रीचरणों में करोड़ों-करोड़ो नमन व बारम्बार दण्डवत प्रणाम है।
आपका दिव्य प्रेम व अटूट श्रद्धा, हमें भी प्रेरित करती है, और अंदर में एक नया जोश, नयी उमंग देती है।
परमपूज्य गुरु भगवान जी व गुरु माॅं जी के श्रीमुख से आपके जीवन कि त्याग, तपस्या व सत्संग के लिए शौक सुनकर, हमें भी आगे बढ़ने का भाव बनता है।
आपको कभी देखा नहीं, पर हमेशा गुरु भगवान जी व गुरु माॅं जी में आपका reflection पाया।
आपके श्रीचरणों में बारम्बार दण्डवत प्रणाम है।
अम्मा जी भगवान को अनंत कोटि नमन है 🙏🏻
अम्मा जी का जीवन हम साधकों के लिए एक गाइड के समान है जिनका आदर्श सामने रखकर हम अपने जीवन का निर्माण कर सकते हैं 🙏🏻
अम्मा जी भगवान से प्रार्थना है कि हमारी गुरु भक्ति , आत्मा से प्रेम व निष्कामता नित्य प्रति दृढ़ होती जाय 🙏🏻 जीवन की प्रत्येक बाधा को हुम् अपनी उन्नति का साधन बना सकें 🙏🏻
अनंत अनंत शुकराने हैं
Amma ji k charno me koti koti naman h.
Anant anant tahedil se sukrane h ?
?
परम पूज्य अम्मा जी के श्री चरणों में हृदय से करोड़ों-करोड़ों नमन हैं। पूजनीय अम्मा जी के दिव्य जीवन के एक-एक शण से निरंतर बहुत सीखने को मिल रहा है।????♀️
कलम लिख लिख के हारी है,
ज़ुबाँ गा-गा के हारी है,
ज़मीन आकाश से ऊँची,
गुरु जी महिमा आपकी है।???♀️
????
Param pujya Ammaji ke shree charon mein koti koti naman hai. Hamare koi punya karma rahe honge jo hame sacche guru mile ,Ammaji ka jeevan ham sabke liye prernashrot hai , hae naath, hae prabhu aapke charno me hame bhi jagah mile ,ye jeevan nirarthak na jaane paye, guru vani se hamara bhi udhhar ho sake, esiee Ammaji ke charno mein prarthana avm vinati karte hain………….
Radhey Radhey Bhagwanji, guru bhagwan avm guru maa ko koti koti naman ,shukrane Bhagwanji.
परम पूज्य दिव्य अम्माजी को ह्रदय से प्रेम पूर्ण वंदन वा नमन है.??♀️?
?divine अम्माजी की गुरु भक्ति से ही हमें आज यह सत्संग का दिव्य उपहार मिला, ह्रदय से उनको नमन नमन नमन ???♀️??
परम् दिव्य अम्मा जी गुरु भक्ति का दर्शन आज हमें हमारे भगवनजी के रूप में मिल रहा है.
गुरु की अनंत कृपा से उनका ये वचन कि गुरु ने बोला सागर का पानी मीठा तो मीठा. ??♀️?
ह्रदय को अंदर से जगा देता है.
मेरे भगवनजी आप के श्री चरणों में यही प्रार्थना है कि गुरु के प्रति अटूट श्रद्धा भक्ति का भाव इस ह्रदय में भी उतनी ही गहराई से बस जाये. और हम भी गुरु के बताये मार्ग पर चल कर गुरु कृपा से, गुरु द्वारा बताये गए अपने परम् लक्ष्य को प्राप्त करें.
हे नाथ हम आप को एक पल भी ना भूलें कृपा करें. ?♀️?
??♀️??♀️??♀️??♀️?
Radhey Radhey Bhagwan ji
Guru ji ke gyan se amma ji ne apna avm parivar ka
Jivan badal diya guru ji se prarthna h ki hm bhi
Unke dikhaye raste pe chal kar apna aatm nishay
Pakka kar paye anant anant shukrane ????
अनन्त अनन्त शुकराने है आप सब के भगवान् जी। अम्मा जी के जीवन से प्रेरणा मिलती है कि हम गुरू जी के बताये हुऎ मार्ग पर चले। गुरु भगवान् जी के सानिध्य में ही शांति, प्रेम और खुशी है। अम्मा जी ने बहुत से भक्तों के जीवन मे सत्संग के द्वारा ज्ञान की ज्योति जगाई। हमारा मन भी गुरू वचनों में लगे और हम उन्हें अपने जीवन में लगाए।
आप सभी के चरणों में बारम्बार वंदन भगवान् जी ???
गुरु भगवान् अम्मा जी को हदय से नमन अनन्त कोटि प्रणाम ??। अम्मा जी के बारे में पढ़ कर लगा कि उन्हें गुरु से अतिशय प्रेम था अम्मा का दढ निश्चय पढ़ कर लग रहा है हमारा भी जीवन ऐसा बने । अम्मा जी की कुर्बानी थी जो सव के हित के लिए थी। अम्मा जी हमारी भी सोई लगन को जगा कर अगन लगा दो आप ही ये उपकार कर सकते ।आप भगवान का रूप हो गुरु रुप में हमारे लिए भगवान बन कर आये भैया जी भाभी जी की शरण में ज्ञान नित का सत्संग मिल रहा है। गुरु भगवान जी एवं गुरु मां को कोटि कोटि प्रणाम ?? अनन्त शुक्राने है ??
गुरु भगवान जी के अंनत अंनत शुकराने है अममा जी की जीवन शैली का दर्शन किया अममा जी के जीवन में प्रतेक घटना एक परेणा दायक थी अममा जी का वयतिगत कितना महान था अममा जी ने ज्ञान बांट कर घर घर पहुचाया ओर आज अपने भक्तों का उधहार कर रहे हैं गुरु भगवान जी के अंनत अंनत शुकराने है राधे राधे भगवान जी
Pujniye amma ji ke darshan to nahi kiye hai lekin jab bhi unke jeewan ko guru mukhase sunte hai ya padte hai to unka prem hirday me feel hota hai
Mere guru bhagwan avam gurumata ji me amma ji ki hi chavi dikhati hai jaise amma ji tyag nishkaam prem aur samarpan ki murti the mere guru bhagwan bhi unka swarup hai amma ji ke tahedil se shukrane hai ki unhone jo bagiya apni athak mehnat se jo bagiya kahai thi guru bhagwan ne usme hame bhi jagah di
Bahut khunki aati hai ki ma aise guru ji ka bacha hu jinke guru ji amma ji hai
Guru bhagwan ke anant anant shukrane hai
Ammaji ka jeewan hm grihsthi logo k liye misal h, unke jeewan k bare m jb bhi kuch padte ya sunte hein ek josh sa aa jata h,kabhi unko dekha nhi ek prem ki feeling ek khichav sa anubhav hota h,sare shukrane guru bhagwnji v guru ma k hein, jo samay samay pr unka divya jeewan hm sabke sath share karte hein,hridya se naman hein Guru chrno m,anant shukrane hein
गुरु चरणों में अनंत कोटि नमन है ?
अम्मा जी के दर्शन का सौभाग्य तो नहीं मिला पर
पूरे आलेख को पढ़ते हुए अम्माजी जी के जीवन की प्रत्येक घटना जैसे चलचित्र की भांति जीवंत हो उठी ।
आपका सच्चे हृदय से आभार कि हम सबके प्रेरणास्रोत परम श्रद्धेय अम्मा जी की जीवनी पढ़ कर फिर से लगन में अगन बढ़ने लगती है ।
सच मे बहुत अचरज होता है कि अम्माजी का व्यक्तित्व कितना महान था कि उन्होंने अपने दृढ़ संकल्प से एकल शंखनाद किया गुरु का ज्ञान व प्रेम जन जन तक पहुँचाने के लिए जब किसी प्रकार की सुविधाएं नही थीं ।
अम्मा जी की साक्षात प्रतिमूर्ति गुरु भगवान जी एवं गुरु मां को अनंत कोटि नमन है
?गुरुभगवान को हृदय से नमन है गुरु प्रेम के अनन्त शुक्राने है।
इष्ट जब अपने इष्ट की बात करता है तो और भी सुन्दर लगता है।?
आपने ही हमें अम्मा जी के विषय में बताया,उनके अनन्य गुरु प्रेम,निश्चय की दृढ़ता,निष्कामी जीवन,सर्व भूत हिते रता:,सिद्धातों के विषय मेंबताया।जोकि गुरु प्रेम रुपि दीये में घी काम करते है,हृदय को आराम पहुँचाते है।??
आप के प्रेम के अनन्त शुक्राने है।?
हमने अम्मा जी को साछात रूप मै तो नहीं देखा लेकिन उनकी वाणी को जरूर सुना है।लेकिन उनकी जीवनी को पढ़ कर ऐसा लग रहा है कि ऐसी त्याग तपस्या की मिसाल कभी कभी ही देखने एवम् सुनने को मिलती है।
उमा भगवान जी आपके चरणों मै सत सत नमन है।
AADARNIYE AMMA JI KE SHRI CHARNO MEI KOTI KOTI NAMAN VANDAN AVM DANDVAT PRANAM HAI ?????
आता है इस जहाँ में रहबर कोई कोई ।
मिलता है ऐसा बंदा परवर कोई कोई ।
हमने पूजनीय उमा भगवान जी का कभी प्रत्यक्ष रूप से तो दर्शन नहीं किया, परन्तु गुरु भगवान जी,गुरु माँ जी की कृपा से इस लेख के द्वारा उमा भगवान जी का साक्षात दीदार feel हुआ । उमा भगवान जी का निष्कामी जीवन, गुरु प्रेम, कार्यनिपुणता,मौन,सादगी,आत्मनिश्चय हृदय को छूने वाली है।
उमा भगवान जी के चरणों में शत-शत वंदन है ।
Ammaji aapki kripa se hua humara udaar hai,
Hum bane jo aaj hai vo aapka upkaar hai.
Guruji ko koti koti naman hai.
Param Pujya Ammaji Bhagwan Ji k Shree Charan Kamalo m hridya se naman h.
Hey Nath! Mei Aapko bhulu nhi.
Pyare, karunamayi, param hiteshi Satguru Bhagwan Ji k anant anant shukrane h.
Param pujniya Amma ji ko hriday se naman hai. ?????
Pujya amma ji ko koti koti naman hai
Unke niskaam pram se humari bagiya mahak gayi
Amma ji ne sabko prem karna sikha diya
Amma ji ko hirday se koti koti naman hai ??
Pujya amma ji ko koti koti naman hai
Unke niskaam pram se humari bagiya mahak gayi
Amma ji ne sabko prem karna sikha diya
Amma ji ko hirday se koti koti naman hai ??
Param pujya Amma ji k charno m koti koti pranam hai naman hai vandan hai…
Ammaji hi hamari role model hai… Ammaji se prerna paakar hum satsang mein lag paaye aur ammaji ne apne jaise guru de diye jo hume hamare jeevan k laksh tak pucha rahe hai… Ammaji k Anant koti shukrane hain… Guru bhagwan ji k Anant koti shukrane hain… Radhey Radhey bhagwaan ji…
Divine Amma ji ke shree charno mai hridya se dandwat naman karte hai.Amma ji ke nishkam prem hamare liye anmol ratan hai.Amma ji ke tyag tapsaya quarbani ke phalswaroop hi satsang ki bagia phal phul rahi hai.hum sab ke jivan mai nai raha dikhai
hai. aap ke shree charno mai shat shat naman hai
Divine Amma ji ke Shri charno mei koti koti naman hain avm hridye se shukrane hain
Amma ji ke tyaag v tapsya se satsang rupi jo bagia khili hei hm sab us bagia ke phul hain.
Apni sharan dekr hm sabka jeevan bnane wale aise rehber ko barambar prnaam hain
Aapne jo aadarsh apne jeevan se sikhaya us pr hm sab chl payen, aap jesa guru prem hamara bhi ho yahi prarthna hei.
Param pujya Amma ji k charno m koti koti pranam..
Aapke tyag tapasyamey jeevan ko karooron Naman hai.
?????
पूज्य प्यारे अम्माजी, आपका पावन सानिध्य और आत्मिक प्रेम हृदय को आनन्द विभोर करता है। आपने अपना अमूल्य समय दिया, निष्काम प्रेम दिया , अपने अनुभव सहित ज्ञान-भक्ति-वैराग्य का अनमोल खजाना दिया। आपने हमेशा दिया ही दिया।
ये हृदय सदा आपके प्रेम को महसूस करके शुक्रनों में भीगा रहे।
” इस मांटी में सुन मेहरबान
जब तलक एक भी स्वांस है
तेरी प्रीत न बिसराउं मैं
यही होठों पर अरदास है। ”
प्यारे सत्गुरु जी , आपके श्री चरणों में शुक्रानो सहित शत शत नमन है।